भारतीय शेयर बाजार, साल 2020 के सबसे बुरे दौर में है. सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को सेंसेक्स और निफ्टी में जबरदस्त बिकवाली देखने को मिली. इसका नतीजा ये हुआ कि सेंसेक्स 1200 अंक तक लुढ़क गया तो वहीं निफ्टी ने भी 350 अंक तक की गिरावट देखी.
इस गिरावट की वजह से निवेशकों को सिर्फ 5 मिनट के भीतर 5 लाख करोड़ से अधिक का नुकसान हो गया. बता दें कि यह लगातार छठा दिन है, जब सेंसेक्स और निफ्टी दबाव में दिख रहे हैं. इन 6 दिनों में निवेशकों को 11 लाख करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है.
अगर शेयर बाजार के जानकारों की मानें तो कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप की वजह से विदेशी निवेशकों में डर का माहौल है. दरअसल, चीन में कोरोना वायरस के कहर की वजह से मंदी जैसा माहौल है. वहीं भारतीय बाजार काफी हद तक चीन से आयात पर निर्भर है.
ऐसे में निवेशकों को लग रहा है कि चीन की मंदी का असर भारतीय बाजार पर पड़ने वाला है. यही वजह है कि वे शेयर बेच कर निकल रहे हैं. हालांकि, सिर्फ कोरोना वायरस ही बाजार में बिकवाली का जिम्मेदार नहीं है. इसके अलावा कई और भी बड़े फैक्टर हैं जिन्होंने शेयर बाजार का हाल बुरा कर दिया है.
भारत में चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर- दिसंबर) के जीडीपी ग्रोथ रेट आंकड़े आज यानी शुक्रवार को जारी होने वाले हैं. तमाम रेटिंग एजेंसियां बता रही हैं कि ये आंकड़े सरप्राइज करने वाले नहीं होंगे.
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अर्थशास्त्रियों की मानें तो अक्टूबर- दिसंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 4.5 फीसदी पर स्थिर रहेगा. कहने का मतलब ये है कि देश के विकास की रफ्तार अब भी मंद है. ऐसे में निवेशकों को भविष्य को लेकर कई आशंकाएं हैं.
कोरोना वायरस की वजह से ग्लोबली शेयर बाजार की हालत भी खराब है. अमेरिका का डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज गुरुवार को 1,190.95 अंक गिरकर बंद हुआ था. यह डाउ जोन्स के इतिहास में सबसे बड़ी एकदिवसीय गिरावट है.
वहीं एशियाई बाजारों में चीन के शंघाई कंपोजिट, हांगकांग के हैंगसेंग, दक्षिण कोरिया के कोस्पी और जापान के निक्की में चार प्रतिशत तक की गिरावट चल रही थी. इसके साथ ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की बिकवाली जारी रहने से भी बाजार पर दबाव है. आंकड़ों के मुताबिक गुरुवार को एफपीआई ने 3,127.36 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की.
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