रामलला के लिए स्थायी मंदिर निर्माण हेतु गुरुवार को 'श्री राम जन्मभूमि क्षेत्र ट्रस्ट' के नाम से भारतीय स्टेट बैंक के अयोध्या ब्रांच में करेंट अकाउंट (चालू खाता) खोला गया, जिसमें श्रद्धालु मंदिर निर्माण के लिए दान कर सकते हैं. पहले सभी दान 27 साल पुराने एक खाते में जमा कराए जा रहे थे जिसे विवादित स्थल के रिसीवर यानी कमिश्नर द्वारा संचालित किया जाता था.
बैंक में अयोध्या चालू खाता एक रुपये के शुरुआती जमा के साथ खुल गया है. अयोध्या निवासी और ट्रस्ट के सदस्य डॉक्टर अनिल मिश्र के मुताबिक इस खाते में फिलहाल रामलला को मंदिर में चढ़ावे से मिली धनराशि ही जमा की जाएगी. एसबीआई की फैजाबाद शाखा में पुराने खाते में जमा रकम इस एकाउंट में ट्रांसफर की जाएगी.
ट्रस्ट के सदस्य डॉक्टर अनिल मिश्रा ने बताया कि पिछले खाते में जमा 10 करोड़ रुपये को भारतीय स्टेट बैंक में खुले नए खाते में जमा कराया जाएगा. अनिल मिश्रा ने कहा कि ट्रस्ट के गठन के ठीक एक महीने बाद श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के नाम से औपचारिक रूप से नया बैंक खाता खोला गया.
अनिल मिश्रा ट्रस्ट के सदस्य हैं. साथ ही और खाते को संचालित करने हकदारों और 3 हस्ताक्षरकर्ताओं में से एक हैं. खाते के अन्य हस्ताक्षरकर्ता हैं गोविंदगिरी महाराज और चंपत राय.
हर 15 दिन में होती है गिनती
उन्होंने कहा कि जीरो बैलेंस खाते में पहली राशि पिछले 15 दिनों में दानपात्र में एकत्र हुई राशि के रूप में जमा कराया जाएगा, जो श्रद्धालु रामलला को चढ़ाते हैं. इसके लिए दानपात्र की धनराशि की गिनती ट्रस्ट के लोगों ने शुरू भी कर दी है. दान की गई राशि राम जन्मभूमिक स्थल के पास रखी गई है.
राम जन्मभूमि स्थल पर दानपेटी में जमा धनराशि की गिनती हर 15 दिन में ट्रेजरी अधिकारी, एसबीआई अधिकारी, कार्यकारी मजिस्ट्रेट और एक सोनार की मौजदूगी में की जाती है. अनिल मिश्रा ने कहा कि ट्रस्ट के नए खाते में बाद में पैसा जमा किया जाएगा.
1993 में खुला था पुराना खाता
सोने में किए गए दान को कीमती सामान माना जाता है और इसे ट्रेजरी लॉकर में भेज दिया जाता है, जबकि पैसा एसबीआई खाते में जमा कराया जाता है.
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अनिल मिश्रा ने बताया कि पुराना खाता फरवरी 1993 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा रिसीवर बनाए जाने के बाद तत्कालीन कमिश्नर ने खुलवाया था, जिसे अब नए खाते में मिला दिया जाएगा.
उन्होंने कहा कि आयकर छूट के लिए आवश्यक अनुमति के बाद 27 साल पुराने खाते के साथ जमा 10 करोड़ रुपये की राशि को अब नए खाते में ट्रांसफर कराया जाएगा.
फिलहाल इस खाते में केवल रामलला को चढ़ावे से मिली रकम ही जमा की जाएगी. इसी दौरान आयकर विभाग से न्यास को मिलने वाली चंदे की रकम पर दाताओं को आयकर छूट के लिए 80जी प्रावधान का प्रमाणपत्र हासिल करने की प्रक्रिया चल रही है. प्रमाणपत्र मिलने के बाद इसमें चंदादाताओं से मंदिर निर्माण और अन्य व्यवस्थाओं के संचालन के लिए मिलने वाली धनराशि भी जमा की जाएगी.
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