बीते गुरुवार को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कर्ज में डूबे यस बैंक पर एक महीने की पाबंदी लगा दी है. इस पाबंदी के बाद यस बैंक के खाताधारकों के मन में भय का माहौल है.
दरअसल, खाताधारक यस बैंक में अपने डिपॉजिट को लेकर आशंकित हैं. हालांकि, सरकार की ओर से बार-बार ये भरोसा दिलाया जा रहा है कि खाताधारकों के पैसे पूरी तरह सुरक्षित हैं. वहीं, यस बैंक को संभालने में जुटे SBI के चेयरमैन रजनीश कुमार ने भी पैसे के सेफ होने की बात कही है. लेकिन सवाल है कि क्या सच में SBI की हिस्सेदारी खरीदने के बाद यस बैंक की स्थिति में सुधार होगा. आइए समझते हैं पूरे मामले को..
SBI कितनी हिस्सेदारी खरीदेगा?
यस बैंक में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया 49 फीसदी शेयर खरीदने की तैयारी में है. शनिवार को मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एसबीआई चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा कि एसबीआई यस बैंक में 2450 करोड़ रुपये निवेश कर सकता है. उन्होंने बताया कि येस बैंक को संकट से निकालने के लिए 20 हजार करोड़ रुपये की जरूरत है. कहने का मतलब ये है कि येस बैंक एसबीआई के निवेश के बाद भी बैंक को 17 हजार करोड़ रुपये से अधिक चाहिए.
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हालांकि, एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा कि यस बैंक के खाताधारकों पर कोई खतरा नहीं है. रजनीश कुमार ने कहा कि कुछ दिनों की बात है खाताधारकों का संकट दूर हो जाएगा. उन्होंने कहा कि जो लोग एसबीआई में निवेश करना चाहते हैं कि उसके लिए ये एक मौका है. कहने का मतलब ये है कि यस बैंक में नए निवेशक भी आ सकते हैं. रजनीश कुमार के मुताबिक कई संभावित निवेशकों ने मसौदा योजना को देखने के बाद एसबीआई का रुख किया है. साथ ही उन्होंने कहा कि साझेदारों के हित के साथ कोई समझौता नहीं होगा.
दिसंबर 2019 तक येस बैंक में किसके कितने शेयर?
SBI खुद किस हाल में है?
वैसे तो भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की चौथी तिमाही के नतीजे अभी आने वाले हैं लेकिन तीसरी तिमाही में एसबीआई का परफॉर्मेंस काफी बेहतर रहा. साल 2019 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में एसबीआई का मुनाफा एक साल पहले की इसी अवधि से 41 फीसदी बढ़ गया. इस दौरान एसबीआई को 6,797.25 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था. एक साल पहले इसी अवधि में उसे 4,823.29 करोड़ रुपये का लाभ हुआ था. वहीं बैंक की आय भी बढ़कर 76,797.91 करोड़ रुपये रही, जो 2018-19 की इसी तिमाही में 70,311.84 करोड़ रुपये थी.
NPA को लेकर गड़बड़ी
हालांकि, एसबीआई के फंसे हुए कर्ज यानी NPA संदिग्ध हैं. दरअसल, बीते साल आरबीआई ने जांच के दौरान एसबीआई के कुल ग्रॉस NPA में 12,000 करोड़ रुपये का अंतर पाया है. आरबीआई की ओर से किए गए आकलन के मुताबिक बीते वित्त वर्ष में एसबीआई का ग्रॉस एनपीए 1,84,682 करोड़ रुपये था.जबकि एसबीआई ने 1,72,750 करोड़ रुपये का एनपीए दिखाया था. RBI के आंकड़ों के मुताबिक इस दौरान SBI का शुद्ध एनपीए 77,827 करोड़ रुपये था, वहीं एसबीआई ने 65,895 करोड़ रुपये का शुद्ध एनपीए दिखाया था. इस तरह शुद्ध एनपीए में भी 11,932 करोड़ रुपये का अंतर था.
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