नई दिल्ली। अब प्रशांत किशोर किसी पहचान के मोहताज नहीं है। वो राजनीति में पार्टियों की जीत का पैमाना तय करते हैं। हाल तक वो जेडीयू के उपाध्यक्ष थे। लेकिन नागरिकता संशोधन कानून पर नीतीश कुमार से एकराय न बन पाने की वजह से उन्होंने ट्वीट किया जिसे जेडीयू ने सही नहीं माना और पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। लेकिन ममता बनर्जी सरकार को लगता है कि प्रशांत किशोर को बंगाल में सुरक्षा को खतरा है और इस वजह से उन्होंने जेड कैटेगरी सुरक्षा देने का फैसला किया है। खास बात यह है कि 2021 में टीएमसी की विजय पताका को एक बार और फहराने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर है।
अब जेड कैटेगरी सुरक्षा में प्रशांत किशोर
पश्चिम बंगाल की यात्रा पर जब कभी प्रशांत किशोर होंगे तो उन्हें दो पीएसओ, एक एस्कॉर्ट कार, जहां वो रुकेंगे उस जगह की सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मियों की तैनाती होगी। टाइम्स नाउ के पास इस संबंध में दस्तावेज हैं जिससे पता चलता है कि पश्चिम बंगाल सरकार को यकीन है कि राज्य में प्रशांत किशोर की सुरक्षा को खतरा पैदा हो सकता है, लिहाजा उन्हें पूरी सुरक्षा मिलनी चाहिए।
टीएमसी ने 2021 में जिताने की जिम्मेदारी सौंपी
2021 का विधानसभा चुनाव टीएमसी के लिए करो मरो की तरह है। दरअसल उसके पीछे वजह यह है कि 2014 में महज 2 सीट पाने वाली बीजेपी 2019 के आम चुनाव में 18 सीटों पर कब्जा जमाने में कामयाब रही है। इसके साथ ही वोट प्रतिशत में भी इजाफा हुआ। ममता बनर्जी ने बीजेपी की बढ़त को खुद के लिए खतरे के तौर पर माना और उससे निपटने के लिए राजनीति के मैदान में अनेकों दलों का जीत स्वाद चखा चुके प्रशांत किशोर की मदद ली।
2011 में चर्चा में आए प्रशांत किशोर
टीएमसी के जमीनी आधार को और पुख्ता करने के लिए प्रशांत किशोर की इंडियन पोलिटिकल एक्शन कमेटी और टीएमसी के बीच आगामी नगरपालिका चुनाव के साथ साथ विधानसभा चुनाव के लिए समझौता हुआ। प्रशांत किशोर के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने हाल ही में दिल्ली में संपन्न चुनाव में आप के शानदार प्रदर्शन में अपना योगदान दिया था। 2011 में प्रशांत किशोर उस वक्त चर्चा में आए थे जब उन्होंने नरेंद्र मोदी के लिए काम किया था और उसका फायदा बीजेपी को हुआ भी था।
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