कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए देश में पिछले एक महीने से ज्यादा समय से लॉकडाउन है. इसने अर्थव्यवस्था को लेकर गंभीर चुनौतियां खड़ी कर दी हैं. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इन चुनौतियों को लेकर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन से चर्चा की. इस चर्चा में राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों पर बड़े सवाल खड़े किए.
कम टेस्टिंग का उठाया सवाल
राहुल गांधी ने कोरोना टेस्टिंग को लेकर सवाल किया. इस पर रघुराम राजन ने कहा कि अगर हम अर्थव्यवस्था को खोलना चाहते हैं, तो टेस्टिंग की क्षमता को बढ़ाना होगा. हमें मास टेस्टिंग की ओर जाना होगा. अमेरिका की मिसाल लें. वहां एक दिन में डेढ़ लाख तक टेस्ट हो रहे हैं. लेकिन वहां विशेषज्ञों, खासतौर से संक्रमित रोगों के विशेषज्ञों का मानना है कि इस क्षमता को तीन गुना करने की जरूरत है यानी 5 लाख टेस्ट प्रतिदिन हों तभी आप लॉकडाउन को खोलने के बारे में सोचें. कुछ तो रोज 10 लाख तक टेस्ट करने की बात कर रहे हैं. भारत की आबादी को देखते हुए हमें इसके चार गुना टेस्ट करने चाहिए. अगर आपको अमेरिका के लेवल पर पहुंचना है तो हमें 20 लाख टेस्ट रोज करने होंगे, लेकिन हम अभी सिर्फ 22-30 हजार टेस्ट ही कर पा रहे हैं.
केंद्रीयकरण के बहाने मोदी पर निशाना
राहुल गांधी ने राजन से सवाल पूछा कि सत्ता का केंद्रीकरण हो गया है, जिससे बातचीत लगभग बंद हो गई है. बातचीत और संवाद से कई समस्याओं का समाधान निकलता है. इस पर जवाब देते हुए रघुराम राजन ने कहा कि विकेंद्रीकरण न सिर्फ स्थानीय सूचनाओं को सामने लाने के लिए जरूरी है बल्कि लोगों को सशक्त बनाने के लिए भी अहम है. पूरी दुनिया में इस समय यह स्थिति है कि फैसले कहीं और किए जा रहे हैं. मेरे पास एक वोट तो है दूरदराज के किसी व्यक्ति को चुनने का. मेरी पंचायत हो सकती है, राज्य सरकार हो सकती है, लेकिन लोगों में यह भावना है कि किसी भी मामले में उनकी आवाज नहीं सुनी जाती. ऐसे में वे विभिन्न शक्तियों का शिकार बन जाते हैं.
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