नरेंद्र मोदी सरकार की दो अहम स्कीम्स— वन नेशन, वन राशन कार्ड और मजदूरों के लिए किराये पर मकान देने की योजना में उम्मीद के मुताबिक प्रगति नहीं हुई है. संसद की एक स्थायी समिति ने ये बात कही है. समिति इस बारे में अपनी सिफारिशें अगले महीने के पहले सप्ताह में दे सकती है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक समिति के एक सदस्य ने कहा कि वन नेशन, वन राशन कार्ड और सस्ता किराया मकान परिसर (एआरएचसी) योजना में उम्मीद के अनुरूप तेजी नहीं है. हम इस बारे में अपनी सिफारिशें और टिप्पणियां तैयार कर रहे हैं.
वन नेशन, वन कार्ड पर क्या कहा
समिति के सदस्य ने कहा कि इस साल जुलाई में एक देश, एक राशन कार्ड के तहत सिर्फ 2,000 राशन कार्डधारकों ने लाभ उठाया है. देश में 81 करोड़ राशन कार्डधारक हैं. सदस्य के अनुसार कई तकनीकी मुद्दे हैं जो एक देश, एक राशन कार्ड योजना को प्रभावित कर रहे हैं और समिति अगले महीने पेश की जाने वाली रिपोर्ट में इस संदर्भ में अपनी सिफारिशें देगी. सदस्य के अनुसार इस योजना के अंतर्गत अबतक 24 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश शामिल हुए हैं. छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, असम और पश्चिम बंगाल इसके दायरे से अभी बाहर हैं.
एआरएचसी पर क्या कहा
कोरोना काल में प्रवासी मजदूरों के हित में एआरएचसी योजना की शुरुआत हुई है. इसके तहत सरकार ने दो मॉडल पेश किये हैं. पहला, केंद्र और राज्यों द्वारा (सार्वजनिक-निजी भागीदारी में) निर्मित खाली पड़े मकानों को किराये पर
वहीं दूसरे मॉडल का मकसद मजदूरों को किराये पर देने के लिये निजी और सार्वजनिक क्षेत्र को खाली पड़े जमीन पर मकान बनाने के लिये प्रोत्साहित करना है. समिति के सदस्य के मुताबिक एआरएचसी योजना के तहत दोनों मॉडल पर अभी कोई खासा प्रगति नहीं हुई है. पंजाब एकमात्र राज्य है जिसने इस संदर्भ में ज्ञापन लाया है.
Comments
Leave Comments