कृषि कानून के खिलाफ सिंधु बॉर्डर पर डटे किसानों ने ट्रैक्टर ट्राली को ही अपना अस्थाई घर बना रखा है और सड़कों को ही अपना बिस्तर. खुले आसमान के तले सड़कों पर चटाई बिछाकर और कंबल रजाई लेकर सोते हैं और सुबह जल्दी उठकर कृषि संबंधी कानूनों के बारे में केंद्र सरकार को कोसना शुरू कर देते हैं.
किसान ट्रैक्टर ट्राली में राशन-पानी लेकर लंबी लड़ाई के लिए पहुंचे हैं. घर वालों को भी आश्वस्त करके आए हैं कि हमारी चिंता मत करना, जब भी जरूरत होगी हम खुद आपको फोन करेंगे. इसके अलावा दिल्ली के सामाजिक संगठन और एनजीओ आंदोलनकारी किसानों की राशन से लेकर खाने-पीने और दवाइयों तक सब तरह की मदद कर रहे हैं.
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