Farmers Protest: केरन सिंह (Keran Singh) ने हिंदुस्तानी फौज का हिस्सा रहते हुए साल 1965 और 1971 की जंग लड़ी. जानिए, 82 वर्षीय इस जांबाज की वीरगाथा की पूरी कहानी
सीमा पर जिंदगी बिताने के बाद उम्र के इस पड़ाव पर आंदोलन को समर्थन देने पहुंचे केरन सिंह
नई दिल्ली: देश की राजधानी में तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली में डंटे किसानों के आंदोलन के अलग अलग रंग देखने को मिल रहे हैं. किसान आंदोलन (Farmer's Protest) में हिस्सा लेने पहुंचे किसानों के कई अलग अलग मानवीय पहलू सामने आ रहे हैं. कोई खेत और हल को पत्नी और बेटियों के हवाले करके परिवार के भविष्य को सुरक्षित करने की आस में यहां पहुंचा है. तो किसी की कोई और दिल छू लेने वाली कहानी प्रदर्शन के दौरान देखने को मिल रही है.
इस सिलसिले में संवेदनाओं को जगाती एक और कहानी की बात करें तो 1960 से 1987 तक भारत माता की सेवा में सरहद पर तैनात रहे रिटायर्ड हवलदार केरन सिंह (Keran Singh) 82 साल की उम्र में ठंड के इस मौसम की परवाह किए हाथरस से किसान आंदोलन (Farmer's Protest) को समर्थन देने दिल्ली पहुंचे हैं.
देश सेवा का गौरवशाली इतिहास
हवलदार केरन सिंह वर्ष 1987 में सेना से रिटायर हुए थे. अब उम्र के आखिरी पड़ाव में किसान आंदोलन को समर्थन देने यूपी के हाथरस स्थिति पैतृक गांव से दिल्ली पहुंचे हैं. केरन सिंह (Keran Singh) ने हिदुस्तानी फौज का हिस्सा रहते हुए साल 1965 और 1971 की जंग लड़ी. इसके बाद ऑपरेशन ब्लू स्टार में शामिल हुए.
किसान संगठन में संभाली जिम्मेदारी
सेना में अपने शौर्य और अदम्य पराक्रम के दम पर केरन सिंह ने हमेशा दुश्मनों के दांत खट्टे करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. फौलादी इरादों वाले केरन सिंह 1988 में किसान संगठन से जुड़े. अब उनका कहना है कि वो आर पार की इस लड़ाई का हिस्सा बनने के लिए किसान आंदोलन में शामिल हुए हैं. उन्होंने ये भी कहा कि सरकार जब तक नही झुकती वो यहां से कहीं नहीं जाएंगे
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