नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आजादी की लड़ाई के दौरान घटी चौरी चौरा की ऐतिहासिक घटना के शताब्दी समारोह की शुरुआत की। पीएम मोदी ने इस मौके पर एक विशेष डाक टिकट भी जारी किया। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि 100 साल पहले चौरी चौरा में जो हुआ वह सिर्फ एक आगजनी की घटना, एक थाने में आग लगा देने की घटना नहीं थी। चौरी चौरा का संदेश बहुत बड़ा और व्यापक था, अनेक वजहों से पहले जब भी चौरी चौरा की बात हुई, उसे एक मामूली आगजनी के संदर्भ में ही देखा गया, लेकिन आगजनी किन परिस्थितियों में हुई क्या वजह थी, यह भी उतनी महत्वपूर्ण है। आग थाने में नहीं बल्कि जन जन के दिलों में लग चुकी थी, उस इतिहास को आज देश के इतिहास में स्थान देने का जो प्रयास हो रहा है वह प्रशंसनीय है।
उन्होंने कहा, आज चौरी चौरा की शताब्दी पर एक डाक टिकट भी जारी किया गया है, आज से शुरू हो रहे ये कार्यक्रम पूरे साल आयोजित किए जाएंगे। इस दौरान चौरी चौरा के साथ हर गांव और हर क्षेत्र के बीच बलिदानियों को याद किया जाएगा। इस साल जब देश अपनी आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है, उस समय ऐसे समारोह का होना इसे और भी प्रासंगिक बना देता है। चौरी चौरा देश के सामान्य मानवी का स्वत: स्फूर्त संग्राम था। इस संग्राम की जितनी चर्चा होनी चाहिए थी उतनी नहीं हो पायी। इस संग्राम के शहीदों और क्रांतिकारियों को भले ही इतिहास में प्रमुखता से जगह नहीं दी गई है, लेकिन आजादी के लिए उनका खून देश की माटी में मिला हुआ है जो हमें हमेशा प्रेरणा देता है।
पीएम ने कहा, वे सब मां भारती की वीर संतान थे, आजादी के आंदोलन में संभवत: ऐसी कम ही घटनाएं होंगी जिसमें किसी एक घटना पर 19 स्वतंत्रता सैनानियों को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया। अंग्रजी हुकूमत तो सैंकड़ों स्वतंत्रता सैनानियों को फांसी देने पर तुली हुई थी, लेकिन बाबा राघव दास और महामना मालवीय जी के प्रयासों की वजह से करीब 150 लोगों को फांसी से बचा लिया गया था। इसलिए आज का दिन विषेश रूप से बाबा राघवदास और महामना मदन मोहन मालवीय जी को भी प्रणाम करने का है।
आगे उन्होंने कहा, इस पूरे अभियान से हमारे छात्र छात्राओं और युवाओं को प्रतियोगिता के माध्यम से भी जोड़ा जा रहा है, युवा जो अध्ययन करेंगे उससे उन्हें इतिहास के कई अनकहे पहलू पता चलेंगे। भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालयय ने भी आजादी के 75 साल पूरे होने पर युवा लेखकों पर स्वतंत्रता सैनानियों पर किताब लिखने के लिए शोध पत्र लिखने के लिए आमंत्रित किया है, चौरी चौरा संग्राम के कितने ही ऐसे वीर सैनानी हैं जिनके जीवन को आप देश के सामने ला सकते हैं। चौरी चौरा शताब्दी कार्यक्रमों को स्थानीय कला संस्कृति और आत्मनिर्भरता से जोड़ने का प्रयास किया गया है। यह प्रयास भी हमारे स्वतंत्रता सैनानियों के प्रति हमारी श्रद्धांजलि होगी।
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