नई दिल्पली/लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव की तारीखों को लेकर चुनाव आयोग ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में जो शेड्यूल पेश किया, उसमें चुनाव मई तक होने की बात सामने आई है। अपने शेड्यूल में चुनाव आयोग ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को बताया कि 22 जनवरी को पंचायत चुनाव की मतदाता सूची तैयार हो गई है। 28 जनवरी तक परिसीमन का काम भी पूरा हो गया, लेकिन सीटों का आरक्षण राज्य सरकार को फाइनल करना है इसलिए अब तक चुनाव कार्यक्रम जारी नहीं किया जा सका है। आयोग ने बताया कि सीटों का आरक्षण पूरा होने के बाद चुनाव में 45 दिन का समय लगेगा।
हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि पंचायत चुनाव मई में कराने का प्रस्ताव प्रथम दृष्टया स्वीकार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि नियमानुसार 13 जनवरी 2021 तक पंचायत चुनाव पूरे करा लिए जाने थे। बता दें कि, विनोद उपाध्याय की याचिका पर कोर्ट ने चुनाव आयोग से पंचायत चुनाव को लेकर जानकारी तलब की थी। जिसके बाद आयोग द्वारा जो शेड्यूल पेश किया गया, उसे हाईकोर्ट ने संवैधानिक उपबंधों के विपरीत मानते हुए अस्वीकार कर दिया।
आज यूपी सरकार देगी कोर्ट में जवाब
हाईकोर्ट ने अब राज्य सरकार की तरफ से जवाब मांगा है। आज (4 फरवरी) को फिर से याचिका पर सुनवाई की तारीख है। यह आदेश न्यायमूर्ति एमएन भंडारी और न्यायमूर्ति आरआर अग्रवाल की खंडपीठ ने दिया है।
यूपी में पंचायत चुनाव को लेकर असमंजस बरकरार
बता दें कि, उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर असमंजस बरकरार है। लोगों की निगाहें आरक्षण सूची पर टिकी हुई हैं। जानकारी के अनुसार इसके फरवरी के आखिरी सप्ताह या मार्च के प्रथम सप्ताह तक फाइनल होने की संभावना है। लिस्ट फाइनल होने के बाद सरकार आयोग को सूचित कर देगी, उसके बाद आयोग तारीखों के ऐलान की तैयारी शुरू करेगा। इस प्रक्रिया में काफी दिन लगेंगे।
उत्तर प्रदेश में इस बार होने वाले त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में ऐसी क्षेत्र व जिला पंचायतें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित की जाएंगी जो पिछले पांच चुनाव में अब तक कभी आरक्षित ही नहीं हो सकीं। राज्य सरकार पंचायतीराज निदेशालय से मिले आंकड़ों और प्रस्तावों के आधार पर कुछ ऐसा ही फार्मूला तैयार करवाने में जुटी है।
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