नई दिल्ली: उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ में ग्लेशियर टूटने के कारण आए एवेलांच से अलनकनंदा और धौलीगंगा नदियों में भयंकर बाढ़ आ गई है. बाढ़ यहां पर पांच पुलों को बहा ले गई और रास्ते में आने वाले घरों, पास के NTPC पावर प्लांट और एक छोटे हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट ऋषिगंगा को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया. इस आपदा में अब तक 14 लोगों की मौत होने की खबर है, वहीं लगभग 170 लोग लापता हैं. तपोवन NTPC पावर प्रोजेक्ट की सुरंग में 30 मजदूरों के फंसे होने की जानकारी है, जिन्हें निकालने की कोशिश हो रही है. राष्ट्रीय और राज्य की आपदा प्रबंधन की टीम सहित यहां पर ITBP की टीमें भी लगी हुई हैं.
तपोवन पॉवर प्रोजेक्ट की टनल में फंसे करीब 30 मजदूरों को निकालने के लिए सेना के इंजीनियरिंग विंग के 40 जवानों का दल रात 2 बजे से जुटा हुआ है. रात में जलस्तर कम होने के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया था. जेसीबी की मदद से टनल के अंदर पहुंच कर रास्ता खोलने का प्रयास किया जा रहा है. 250 मीटर लंबी टनल मे भारी मात्रा में मलबा आने के कारण राहत एवं खोज कार्य में दिक्कत आ रही है.
जानकारी है कि लगभग 170 लोग- जिनमें से NTPC प्लांट पर 148 और ऋषिगंगा में काम करने वाले 22 लोग शामिल हैं- वो लापता चल रहे हैं. एक दूसरे टनल में फंसे 12 लोगों को ITBP टीम ने निकाला है, लेकिन एक दूसरी टनल में 30 लोग फंसे हुए हैं, जिन्हें बचाने की कोशिश हो रही है. जानकारी है कि यह सुरंग 2.5 किलोमीटर लंबी है.
सोशल मीडिया पर जोशीमठ पर नदी में जलस्तर बढ़ने की खबरें चलने के बाद उत्तराखंड पुलिस और पीआईबी की ओर से इसका खंडन किया गया है और इसे अफवाह बताया गया है. पुलिस ने लोगों को विश्वसनीय स्रोतों पर भरोसा करने को कहा है.
ऋषिगंगा और तपोवन पावर प्रोजेक्ट बह जाने से करीब 700 करोड़ का नुकसान होने का अनुमान है. एनडीआरएफ और एसडीआरएफ सहित आईटीबीपी और पुलिस की कई टीमें लापता लोगों और शवों की खोज में जुटे हुए हैं.
राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मृतकों के परिवारों को 4 लाख का मुआवजा देने की घोषणा की है. प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से अतिरिक्त 2 लाख दिए जाएंगे, वहीं गंभीर रूप से घायल लोगों को 50,000 का मुआवजा दिया जाएगा
NCMC (National Crisis Management Committee) ने देर रविवार को एक मीटिंग की और बताया की केंद्रीय जल आयोग की ओर से मिली जानकारी के अनुसार यहां पर नीचे की ओर बाढ़ आने का खतरा अब नहीं है और पानी के बढ़े हुए स्तर को काबू में कर लिया गया है. वहीं, आसपास के इलाकों में मौजूद गांवों को भी कोई खतरा नहीं है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर बताया था कि उन्होंने त्रिवेंद्र रावत से बात की है और वो लगातार हालत पर नजर रखे हुए हैं. उन्होंने अपने ट्वीट में कहा था कि उत्तराखंड के साथ पूरा देश खड़ा है और लोगों की सुरक्षा के लिए प्रार्थना कर रहा है. गृहमंत्री अमित शाह ने भी ट्वीट कर कहा था कि मोदी सरकार उत्तराखंड के लोगोंं के साथ खड़ी है.
प्रभावित क्षेत्रों में मेडिकल टीमें तैनात की गई हैं. जोशीमठ में 30 बेड का अस्पताल तैयार किया गया है. श्रीनगर, ऋषिकेश, जॉलीग्रांट और देहरादून में अस्पतालों को स्टैंडबाई पर रखा गया है.
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