कोरोना से बचाव के तहत घोषित बंदी के बाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) परिसर को वापस खोलने की प्रक्रिया जारी है। इस बीच जेएनयू परिसर में कोरोना संक्रमण के मामले सामने आए हैं। जेएनयू परिसर में वर्तमान में कोरोना संक्रमण के 27 मामलों की पुष्टि हुई है, जिसमें से 24 छात्र शामिल हैं। इसके बाद अब विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रावास में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित करने के लिए निगरानी तेज करने का फैसला लिया है।
कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए दिल्ली के विश्वविद्यालयों ने भी बचाव के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। जेएनयू और जामिया ने कोरोना से बचाव के लिए परिसर में सख्त नियम लागू कर दिए हैं।
दिखानी होगी 72 घंटे पुरानी RT-PCR रिपोर्ट
जेएनयू ने परिसर में रह रहे छात्रों को अनावश्यक रूप से बाहर न निकलने की सलाह दी है। वहीं प्रवेश करने से पहले महाराष्ट्र समेत अन्य जगहों से आने वाले अतिथियों समेत अन्य व्यक्तियों को 72 घंटे अवधि वाली आरटीपीसीआर कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट दिखानी होगी, वरना 14 दिन पृथकवास करना होगा। जेएनयू कुलसचिव प्रो अनिर्बान चक्रवर्ती ने रविवार को इस संबंध में निर्देश जारी करते हुए कहा निगरानी के यह जरूरी है।
परिसर में बिना मास्क पकड़े गए तो जुर्माना
जेएनयू में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित कराने के लिए कुलसचिव ने छात्रावास वार्डन और प्रोवोस्ट को जागरूकता फैलाने का निर्देश दिया था। साथ ही डीन ऑफ स्टूडेंट वेलफेयर को नए दिशा-निर्देश बनाने को कहा है। इसके साथ ही कुलसचिव ने छात्रों समेत सभी कर्मियों को सड़क से लेकर ढाबे, गलियों, छात्रावास, पुस्तकालय, कार्यालय में आवश्यक रूप से मास्क पहनने को कहा है। कुलसचिव ने मास्क न पहने हुए पकड़े जाने की स्थिति में जुर्माने का प्रावधान किया है। कुलसचिव ने इस संबंध में आठ बिंदुओं के दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। जिसके तहत एनएसएस और एनसीसी के छात्रों को इस संबंध में सामाजिक जागरूकता फैलाने के उपाय अपनाने को कहा गया है। इसी तरह परिसर में स्थित दुकान और ढाबे वालों को मास्क पहने व्यक्ति को ही सामान देने को कहा गया है। अगर दुकान और ढाबा स्वामी इस नियम का पालन ना करते हुए पकड़े जाते हैं, उन्हें दंड स्वरूप अपना प्रतिष्ठान दो दिन के लिए बंद रखना पड़ सकता है।
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