महाराष्ट्र के अमरावती में रहने वाली 70 वर्षीय आशा भिड़े अब उम्र के कारण बाज़ार कम निकलती हैं. आशा इस उम्र में भी आत्मनिर्भर रहना पसंद करती हैं. बीती फरवरी जब आशा को अपने पोते के लिए गिफ्ट खरीदना था तो उनके सामने बाज़ार जाने की समस्या थी, लेकिन उसी दौरान उन्हें अमेज़न पर एक ऐसा विकल्प दिखा जिससे उनकी समस्या घर बैठे दूर हो गई. अमेज़न पर, यह विकल्प हिंदी भाषा में खरीदारी करने का था.
आशा पेशे से टीचर थीं, पिछले करीब दो दशक से रिटायर्ड हैं. बीती जनवरी तक उनके लिए ऑनलाइन शॉपिंग करना किसी पहाड़ तोड़ने जैसा काम था. इस उम्र में तकनीक को अपनाने में जो बुनियादी चुनौतियां आती हैं, वही आशा जी की भी चुनौतियां थीं. पहला देख-परख ना पाना और दूसरा क्या कैसे चुनना है इसका झंझट. लेकिन बीती फरवरी आशा ने अपने पोते के लिए जब बर्थडे गिफ्ट खरीदने का सोचा, तो अमेज़न पर उनकी समस्या का समाधान मिला.
कैसे हिन्दी भाषा ने बनाई शॉपिंग आसान?
बीती 20 फरवरी की बात है, महाराष्ट्र की रहने वाली आशा भिड़े खुश थीं क्योंकि तीन साल बाद उनका पोता राहुल अपने जन्मदिन पर अमरावती आ रहा था. नौकरी की वजह से बाहर रह रहा राहुल जितना खुश है उससे ज़्यादा खुश उसकी दादी आशा थीं. वो राहुल को बचपन से उसके बर्थडे पर कुछ खास गिफ्ट दिलाती आई हैं, लेकिन अब खुद से बाज़ार जाना संभव नहीं था. परिवार में सब नौकरी में व्यस्त रहते हैं, जिसकी वजह से शॉपिंग के लिए शनिवार-इतवार का इंतेज़ार करना पड़ता. अब जब राहुल का बर्थडे तीन दिन बाद था, तो दादी के लिए शॉपिंग उससे पहले करनी ज़रूरी थी. ऐसे में घर बैठे शॉपिंग का एक ही तरीका था और वो था अमेज़न पर ऑनलाइन शॉपिंग.
आशा ने अकसर राहुल को अमेज़न से शॉपिंग करते देखा था. वही ध्यान में रखते हुए उन्होंने थोड़ा घबराते हुए अपने उसी फोन को उठा लिया जिसे वो सिर्फ राहुल से वीडियो कॉल करने के लिए इस्तेमाल करती थीं. जब आशा ने अमेज़न खोला तो देखा उसमें हिन्दी भाषा का भी विकल्प था. अपनी भाषा दिखने पर आशा की घबराहट वहीं खत्म हो गई. अपनी भाषा की शॉपिंग ऐप देखकर हर चीज़ खोजना काफी आसान हो गया था. आशा ने फट से इलेक्ट्रानिक पर क्लिक किया जिसमें कई पोस्टर प्रोडक्ट फोटो के साथ थे. बस फिर क्या, आशा ने तुरंत कैमरे पर क्लिक किया और उसके बाद ‘अभी खरीदें’ पर क्लिक करके नकद भुगतान वाला विकल्प चुनकर ऑर्डर दे दिया. राहुल तीन दिन बाद आने वाला था लेकिन कैमरा दो दिन में ही आशा के पास पहुंच गया.
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