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कोरोना मरीजों में के लिए मुसीबत बना म्यूकोरमाइकोसिस, जानें क्या बला है ये ब्लैक फंगस?

कोविड-19 को मात देने के बाद कवक (फंगल) संक्रमण ‘म्यूकोरमाइकोसिस’ की वजह से आंखों की रोशनी गंवाने के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है। कवक संक्रमण (म्यूकोरमाइकोसिस) गंभीर है लेकिन दुर्लभ है। महाराष्ट्र और गुजरात के स्वास्थ्य अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि इस संक्रमण के मामले कोविड-19 से ठीक हुए मरीजों में बढ़ रहे हैं और जिसकी वजह से उनमें आंखों की रोशनी चले जाना और अन्य दिक्कतें उत्पन्न हो रही है। 

क्या है म्यूकोरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस)?

म्यूकोरमाइकोसिस एक तरह का काफी दुर्लभ फंगल इंफेक्शन है जो शरीर में बहुत तेजी से फैलता है। इसे ब्लैक फंगस भी कहा जाता है। म्यूकोरमाइकोसिस इंफेक्शन दिमाग, फेफड़े या फिर स्किन पर भी हो सकता है। इस बीमारी में कई के आंखों की रौशनी चली जाती है वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी गल जाती है। अगर समय रहते इसे कंट्रोल न किया गया तो इससे मरीज की मौत भी हो सकती है। यह मुख्य रूप से उन लोगों को प्रभावित करता है जो स्वास्थ्य समस्याओं के लिए दवा पर हैं जो पर्यावरणीय रोगजनकों से लड़ने की उनकी क्षमता को कम करता है।

डायबिटीज के मरीजों को ज्यादा खतरा

आम तौर पर जिन लोगों में इम्यूनिटी बहुत कम होती है, म्यूकोरमाइकोसिस उन लोगों को तेजी से अपना शिकार बनाती है। कोरोना के दौरान या फिर ठीक हो चुके मरीजों का इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर होता है इसलिए वो आसानी से इसकी चपेट में आ जा रहे हैं। खासतौर से कोरोना के जिन मरीजों को डायबिटीज है, शुगर लेवल बढ़ जाने पर उनमें म्यूकोरमाइकोसिस खतरनाक रूप ले सकता है।

ब्लैक फंगस के लक्षण?

इसके लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, खूनी उल्टी और बदली हुई मानसिक स्थिति के साथ आंखों या नाक के आसपास दर्द और लाली दिखना शामिल हैं। वहीं स्किन पर ये इंफेक्शन होने से फुंसी या छाले पड़ सकते हैं और इंफेक्शन वाली जगह काली पड़ सकती है। कुछ मरीजों को आंखों में दर्द, धुंधला दिखाई देना, पेट दर्द, उल्टी या मिचली भी महसूस होती है। हालांकि, सलाहकारों के अनुसार, हर बार नाक ब्लॉक होने की वजह ब्लैक फंगस हो ये भी जरूरी नहीं है। इसलिए जांच कराने में संकोच न करें।

म्यूकोरमाइकोसिस के लक्षण दिखें तो क्या करें?

यदि किसी में इस तरह के लक्षण महसूस हों, तो फौरन डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। समय रहते इलाज शुरू कर दिया जाए, तो एंटीफंगल दवाओं से इसे ठीक किया जा सकता है। जिन लोगों में यह स्थिति गंभीर हो जाती है, उनमें प्रभावित डेड टिशूज़ को हटाने के लिए सर्जरी की भी जरूरत पड़ सकती है। ध्यान रहे कि ऐसी समस्या आने पर बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा न खाएं। 

म्यूकोरमाइकोसिस का इलाज?

हालांकि इसका इलाज एंटीफंगल के साथ किया जाता है, लेकिन ब्लैक फंगस में सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। डॉक्टरों का कहना है कि डायबिटीज  को नियंत्रित करना, स्टेरॉयड का उपयोग कम करना और इम्यूनोमॉड्यूलेटिंग ड्रग्स को बंद करना सबसे महत्वपूर्ण हैं। पर्याप्त हाइड्रेशन बनाए रखने के लिए, उपचार में कम से कम 4-6 सप्ताह के लिए एम्फ़ोटेरिसिन बी और एंटीफंगल थेरेपी से पहले नॉर्मल सलाइन (IV) शामिल हैं।

ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए अलग वार्ड

कोविड-19 से ठीक हुए व्यक्तियों में म्यूकरमाइकोसिस या 'ब्लैक फंगस' के संक्रमण के मामले सब जगह देखने को मिल रहे हैं। मामलों में वृद्धि के बीच गुजरात सरकार ने ऐसे रोगियों के लिए अस्पतालों में अलग वार्ड स्थापित करना शुरू कर दिया है और इसके उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवा की 5,000 शीशियों की खरीद की है। गुजरात में म्यूकरमाइकोसिस के अब तक 100 से अधिक मामले सामने आये हैं। यह एक गंभीर लेकिन दुर्लभ कवक संक्रमण है, जिसके चलते कई रोगी दृष्टहीन हो गए हैं और इससे अन्य गंभीर दिक्कतें भी उत्पन्न हो रही हैं। राज्य सरकार के अनुसार वर्तमान में अहमदाबाद सिविल अस्पताल में 19 रोगियों का इसके लिए इलाज किया जा रहा है। राज्य सरकार के अनुसार ऐसे मरीजों के इलाज के लिए अहमदाबाद सिविल अस्पताल में 60 बिस्तर वाले दो अलग समर्पित वार्ड स्थापित किए गए हैं।

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