कोरोना वायरस के कहर से निपटने के तरीकों को लेकर हाल ही में मोदी सरकार की आलोचना करने वाले अनुपम खेर ने एक बार फिर से अपने सुर बदल लिए हैं। बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता अनुपम खेर ने कहा है कि गलतियां वही करते हैं जो काम करते हैं, निकम्मों की जिंदगी तो दूसरों की गलतियां ढूंढने में बीत जाती है। अक्सर मोदी सरकार की नीतियों की तारीफ करने वाले अभिनेता अनुपम खेर ने बुधवार को मोदी सरकार की आलोचना की थी और कहा था कि कोरोना की दूसरी लहर के मद्देनजर देश में जो कुछ हो रहा है उसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराना जरूरी है। मगर अपने ट्वीट से वह अपने बयान के संदर्भ में डैमेज कंट्रोल करते दिख रहे हैं।
इमेज बनाने वाले बयान पर काफी सुर्खियां बटोरने वाले अनुपम खेर ने आज ट्वीट कर कहा, 'गलती उन्हीं से होती है जो काम करते हैं, निकम्मों की ज़िंदगी तो दूसरों की बुराई खोजने में ही खत्म हो जाती है।' इस ट्वीट को अनपुम खेर के पिछले बयान से जोड़कर देखा जा रहा है, जिसमें उन्होंने बुधवार को कहा था कि इमेज बनाने के अलावा जिंदगी में और भी बहुत कुछ है। उन्होंने कहा था कि अधिकारियों की सार्वजनिक आलोचना 'कई मामलों में वैध' है।
इमेज बनाने से ज्यादा जरूरी है जान बचाना: अनुपम
एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में अनुपम खेर ने बुधवार को कहा था कि सरकार के लिए समय यह समझने का है कि छवि बनाने से ज्यादा जरूरी जीवन बचाना है। उन्होंने कहा कि सरकार से स्वास्थ्य संकट के प्रबंधन में कहीं न कहीं चूक हुई है लेकिन दूसरे राजनीतिक दलों का इन खामियों का अपने हक में फायदा उठाना भी गलत है। यह पूछे जाने पर कि सरकार के प्रयास अभी राहत देने की बजाय अपनी खुद की छवि एवं समझ को बनाने पर अधिक है, राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेता ने कहा कि सरकार के लिए आवश्यक है कि इस चुनौती का सामना करें और उन लोगों के लिए कुछ करें जिन्होंने उन्हें चुना है।
विपक्ष को भी घेरा था
अनुपम खेर ने गंगा और अन्य नदियों में कई शवों के मिलने का जिक्र करते हुए कहा था, 'कई मामलों में आलोचना वैध है...कोई अमानवीय व्यक्ति ही नदियों में बहती लाशों से प्रभावित नहीं होगा।' उन्होंने कहा, 'लेकिन दूसरी पार्टियों का इसका अपने लाभ के लिए इस्तेमाल करना, मेरे विचार में ठीक नहीं है। मेरे हिसाब से, लोगों के तौर पर हमें गुस्सा आना चाहिए। जो हो रहा है उसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराना जरूरी है। कहीं न कहीं उनसे चूक हुई है। उनके लिए समझने का वक्त है कि छवि निर्माण से जरूरी और भी बहुत कुछ है।'
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