केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 को लेकर अपने नए क्लिनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल में बताया है कि अधिकतर लोगों में मुख्य तौर पर संक्रमण हवा के जरिए और उन ड्रॉपलेटों से फैल रहा है जो संक्रमित व्यक्ति के छींकते, खांसते और बात करते वक्त निकलते हैं। बीते साल जून में जारी किए प्रोटोकॉल में स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया था कि संक्रमण मुख्य रूप से तब फैलता है जब कोई संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आ जाए।
इससे पहले केंद्र सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के. विजयन राघवन के दफ्तर की ओर से जारी गाइडलाइंस में बताया गया था कि किसी संक्रमित व्यक्ति की छींक और खांसी से वायरस हवा में 10 मीटर की दूरी तक पहुंच सकता है।
नए प्रोटोकॉल में ये भी बदलाव किए गए हैं:
Ivermectin: कम या हल्के लक्षणों वाले केस में आईवरमैक्टिन टैबलेट दिन में एक बार खाली पेट 3 से 5 दिनों के लिए दी जा सकती है। हालांकि, गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए यह लागू नहीं होगा। पिछले साल के प्रोटोकॉल में यह शामिल नहीं किया गया था।
Steroids: नए प्रोटोकॉल के मुताबिक, हल्के संक्रमण के मामलों में स्टेरॉयड की जरूरत नहीं है। अगर सात दिन बाद भी बुखार, ज्यादा खांसी जैसे लक्षण जारी हैं तो डॉक्टर की सलाह पर ओरल स्टेरॉयड लिए जा सकते हैं।
Plasma therapy: प्लाज्मा थेरेपी को कोरोना के इलाज की सूची से पहले ही हटा दिया गया है। जबकि पिछले साल के प्रोटोकॉल में प्लाज्म थेरेपी को शामिल किया गया था।
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