एम्स की निदेशक डॉ. सुरेखा किशोर, सोशल एंड प्रीवेंटिव मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. हरिशंकर जोशी, डॉ. प्रदीप खरया की अगुआई में विशेषज्ञों ने गोद लिए गांव डुमरी, शिवपुर समेत 25 गांवों से 108 बच्चों के खून के नमूने लिए। यह सर्वे मार्च व अप्रैल में किया गया। यह कोविड के दूसरी लहर का पीक रहा। सर्वे में शामिल हुए इन बच्चों की उम्र 18 वर्ष से कम रही। इन बच्चों के खून में एंटीबॉडी की जांच रैपिड किट से की गई। यह किट विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने मुहैया कराई थी।
81 फीसदी में मिली एंटीबॉडी
इस जांच के रिपोर्ट चौंकाने वाले मिले। जिले के ग्रामीण क्षेत्र में 108 बच्चों के खून की जांच की गई। इनमें से 87 बच्चों में एंटीबॉडी मिली हैं। यानी बच्चे कोरोना संक्रमित हुए और घर पर ही ठीक भी हुए। यह 80.6 फीसदी है। लड़कों की अपेक्षा लड़कियों में ज्यादा मिली।
दो हजार बच्चों पर होगा सर्वे
इस सर्वे की प्रारंभिक रिपोर्ट ने विशेषज्ञों की तीसरी लहर में बच्चों में संक्रमण की चिंता को कम कर दिया है। यह सर्वे अभी बंद नहीं हुआ है। सर्वे में करीब 2000 बच्चों पर होना है। इसमें एक हजार बच्चे शहरी क्षेत्र के व इतने ही ग्रामीण क्षेत्र के रहेंगे। जिले के 25 गांवों को चिन्हित किया जा चुका है। हर गांव से 40-40 बच्चों के खून का नमूना जांच के लिए लिया जाएगा। इसमें 50 फीसदी लड़कियां होंगी।
दूसरी लहर में सात गुना बच्चे हुए थे संक्रमित
कोरोना की दूसरी लहर बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक साबित हुई। पहली लहर में करीब 184 बच्चे कोरोना संक्रमण का शिकार हुए थे। जिनमें केवल चार बच्चों को बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराना पड़ा था। इनमें एक मासूम की मौत हुई थी। जबकि दूसरी लहर में संक्रमण का दायरा ज्यादा बड़ा रहा। दूसरी लहर में शून्य से 10 साल के 1526 बच्चे संक्रमित हो चुके हैं। इन संक्रमितों में पांच बच्चों की मौत हुई है। इनमें 22 बच्चों को ही अस्पताल में भर्ती कर इलाज की जरूरत पड़ी। अन्य सभी होम आइसोलेशन में ही कोरोना से जंग जीत गए। बीआरडी की बाल रोग की विभागाध्यक्ष डॉ. अनिता मेहता ने बताया कि दूसरी लहर में हर घर में कोई न कोई संक्रमण की चपेट में आया। इसी वजह से बच्चे भी संक्रमित हो गए। बेहतर इम्यूनिटी के चलते ज्यादातर बच्चे होम आइसोलेशन में ही स्वस्थ हो गए। इनमें रिकवरी दर 96 प्रतिशत रही है।
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