श्रीराम जन्मभूमि विवाद के निपटारे की तर्ज पर कृष्णजन्मभूमि विवाद निपटाने के प्रयास चल रहे हैं। कृष्ण जन्मभूमि विवाद में प्रतिवादी पक्ष को विवादित ढांचे की जमीन के बराबर या डेढ़ गुनी जमीन देने का ऑफर वादी पक्ष ने दिया है। हालांकि इस मामले में 5 जुलाई को सुनवाई होनी है।
न्यायालय सिविल जज सीनियर डिवीजन के यहां प्रस्तुत प्रार्थनापत्र में वादी महेंद्र प्रताप सिंह ने अवगत कराया कि संपूर्ण भारतवर्ष में जहां-जहां सनातन धर्मावलंबियों के आराध्यों राम, कृष्ण और शिव आदि के मंदिर रहे हैं, उन्हें मुगल और यवन आक्रांताओं ने अपनी बर्बरता दिखाने के लिए तोड़ा। उनके स्थान पर मुस्लिम धर्म से संबंधित प्रतीक चिह्नों ईदगाह, मस्जिद की शक्ल में ढांचे उन्हीं मंदिर की निर्माण सामग्री से बना दिए गए। उन्हीं आक्रांताओं द्वारा यहां के हिंदू जनमानस को मृत्यु भय या आर्थिक प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराकर हिंदू से मुस्लिम बना दिया गया। देश का विभाजन धार्मिक आधार पर करते हुए मुस्लिम धर्म के अनुयायियों ने स्वयं के लिए अलग राज्य पाकिस्तान ले लिया, परंतु दुर्भाग्यवश इस देश के हिंदू समाज को उनके स्थान पर भव्य मंदिर, जिनमें उनके आराध्य थे, उन पर बने ढांचों को हटवाकर उनकी पूर्व स्थिति सरकारों ने बहाल नहीं की।
विवाद निस्तारण का ये ऑफर वादी संख्या 5 महेंद्र प्रताप सिंह एडवोकेट, अध्यक्ष श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन समिति, राजेंद्र माहेश्वरी और सौरभ गौड़ की ओर से प्रतिवादी पक्ष को दिया गया है। एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि श्री कृष्ण जन्मस्थान-ईदगाह प्रकरण के वादी पक्ष ने सद्भावना बनाए रखने और केस के निस्तारण के लिए ऑफर दिया कि शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड लखनऊ ठाकुर केशवदेव से संबद्ध कटरा केशवदेव की उक्त भूमि, जिस पर अवैध ढांचा मंदिर तोड़कर खड़ा किया गया, पर अपना क्लेम छोड़कर उसकी एवज में ब्रज क्षेत्र चौरासी कोस परिक्रमा के बाहर उक्त ढांचे के नीचे के नाप की भूमि के एवज में उतनी या उससे डेढ़ गुनी भूमि ले लें। वह (वादी पक्ष) यह भूमि देने को तैयार है, ताकि यह विवाद आपसी सूझबूझ और शांति से निस्तारित हो जाए।
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