दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को योग गुरु स्वामी रामदेव को एलोपैथी पर उनकी टिप्पणी के लिए नोटिस जारी किया। स्वामी रामदेव ने कोविड-19 मामलों के इलाज के तरीके को लेकर डॉक्टरों की आलोचना की थी। हाई कोर्ट ने रामदेव को एलोपैथी और एलोपैथिक डॉक्टरों के खिलाफ "गलत सूचना फैलाने" के लिए नोटिस जारी किया है। मामले की सुनवाई 10 अगस्त को होने की संभावना है।
स्वामी रामदेव ने बाद में टिप्पणी का एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद अपना बयान वापस ले लिया था। वीडियो में उन्हें कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज के लिए इस्तेमाल की जा रही कुछ दवाओं पर सवाल करते हुए यह कहते हुए सुना गया था कि "कोविड -19 के लिए एलोपैथिक दवाएं लेने के बाद लाखों लोग मारे गए हैं"।
इस टिप्पणी का डॉक्टरों के संघों ने जोरदार विरोध किया, जिसके बाद तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने उन्हें "बेहद दुर्भाग्यपूर्ण" बताते हुए बयान को वापस लेने के लिए कहा।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने स्वामी रामदेव को एलोपैथी और एलोपैथिक डॉक्टरों के खिलाफ उनकी कथित टिप्पणी के लिए मानहानि का नोटिस दिया था, जिसमें उनसे 15 दिनों के भीतर माफी मांगने की मांग की गई थी, जिसमें विफल रहने पर उसने कहा कि वह योग से 1,000 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग करेगा।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की शिकायतों के बाद पटना और रायपुर में स्वामी रामदेव के खिलाफ कई प्राथमिकी दर्ज की गईं।
आईएमए के पटना और रायपुर चैप्टर ने स्वामी रामदेव के खिलाफ शिकायत दर्ज कराते हुए आरोप लगाया कि उनकी टिप्पणियों से कोविड -19 नियंत्रण तंत्र के खिलाफ पूर्वाग्रह पैदा होने की संभावना है और लोगों को महामारी के खिलाफ उचित उपचार का लाभ उठाने से रोक सकते हैं।
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