केंद्र सरकार की तरफ से जानकारी दी गई है कि अब तक कुल 9 कश्मीरी पंडितों को कश्मीर में उनकी प्रॉप्रटी वापस दिलाई गई है। यह कश्मीरी पंडित उस प्रॉपर्टी के असली मालिक हैं जो कभी हिंसा के बाद वहां से पलायन कर गये थे। राज्यसभा में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि सरकार उन सभी कश्मीरी हिंदू को वापस कश्मीर में बसाने के प्रयास में है जो वहां आतंकी हिंसा के बाद कश्मीर छोड़ कर पलायन कर गये थे। सरकार इन प्रवासी कश्मीरी हिंदुओं को उनकी प्रॉपर्टी भी वापस करवा रही है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने बताया कि Preservation, Protection and Restraint on Distress Sales) Act, 1997 के तहत सभी जिलों के प्रवासी कश्मीरियों की प्रॉपर्टी के कानूनी कस्टोडियन संबंधित जिलों के जिला मजिस्ट्रेट हैं।
सरकार ने बताया है कि अगर इस प्रॉपर्टी पर कोई गैर कानूनी तरीके से अतिक्रमण करता है तो डीएम इसपर कानूनी कार्रवाई करते हैं। अब अपनी जमीन वापस पाने के लिए कश्मीरी पंडित डीएम से भी संपर्क कर सकते हैं। केंद्र सरकार के मुताबिक अब तक 9 कश्मीरी पंडितों को उनकी प्रॉपर्टी कश्मीर में वापस मिल चुकी है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने राज्यसभा में एक लिखित प्रश्न के जवाब में यह जानकारियां दी हैं।
सरकार ने बताया कि जो जानकारियां जम्मू और कश्मीर सरकार की तरफ से दी गई हैं उसके मुताबिक आर्टिकल 370 हटने के बाद से अब तक कुल 520 प्रवासी कश्मीर लौटे हैं ताकि को प्रधानमंत्री विकास पैकेज-2015 के तहत वहां नौकरी हासिल कर सकें। बता दें कि साल 1989-90 में जम्मू-कश्मीर में इस्लामी चरमपंथ के उभार से उन्हें अपना घर-बार छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था। साल 2019 में अनुच्छेद 370 और 35ए के हटने के बाद कश्मीरी पंडितों की घर वापसी की उम्मीद बंधी थी।
सैकड़ों वर्षों तक कश्मीरी मुस्लिमों के साथ-साथ रहने वाले पंडितों को राज्य में आतंकी घटनाओं के बढऩे के कारण जान बचाने के लिए राज्य छोड़कर भागना पड़ा था। राज्य में आतंकवादियों की घुसपैठ बढऩे से लोगों की हत्या की घटनाओं और हमलों में काफी तेजी आई थी, जिसके कारण उन्हें वहां से पलायन करने पर मजबूर होना पड़ा था। राज्य से कश्मीरी पंडितों का पलायन 1947 में देश की आजादी के बाद होने वाले सबसे बड़े पलायनों की घटना में से एक माना जाता है। अब सरकार इन कश्मीरी पंडितों को वहां फिर से बसाने की कोशिश में है।
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