logo

  • 05
    01:37 am
  • 01:37 am
logo Media 24X7 News
news-details
भारत

नंगे पैर और सिर पर गुरु ग्रंथ साहिब, कुछ यूं अफगानिस्तान से आई प्रतियों को केंद्रीय मंत्री ने किया रिसीव

अफगानिस्तान से हिंदुओं और सिखों को निकालकर भारतीय वायुसेना और एयर इंडिया के विमान लगातार भारत ला रहे हैं। लेकिन मंगलवार को सिखों के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब की तीन प्रतियों को भी अफगानिस्तान से दिल्ली लाया गया। यही नहीं इन्हें रिसीव करने के लिए केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी खुद एयरपोर्ट पहुंचे। उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब की प्रतियों को सिर पर रखकर रिसीव किया। सिख समुदाय के लोगों और पवित्र धर्म ग्रंथ की प्रतियों को भारत लाए जाने को लोग अफगानिस्तान में सिखी परंपरा का खत्म होना बता रहे हैं। 

 

सोमवार को तीन सिख युवकों की सिर पर गुरु ग्रंथ साहिब लिए नंगे पैर चलने की तस्वीरें सामने आई थीं। हालांकि गुरु ग्रंथ साहिब की प्रतियां भारत लाए जाने का यह पहला मौका नहीं है। इससे पहले 25 मार्च, 2020 को गुरुद्वारा हर राय साहिब में इस्लामिक स्टेट ने हमला कर दिया था। काबुल के इस गुरुद्वारे में हुए हमले में 25 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद भी पवित्र ग्रंथ की 7 प्रतियों को भारत लाया गया था। गुरु ग्रंथ साहिब की कुल 13 प्रतियां अफगानिस्तान में थीं, जिनमें से 7 को पहले ही भारत लाया जा चुका है। 

 

गुरुद्वारा समिति के सदस्य बोले, खत्म हुआ अफगानिस्तान में सिखी का एक दौर

 

काबुल के कारते परवान गुरुद्वारा समिति के सदस्य छबोल सिंह ने कहा कि आज तीन गुरु ग्रंथ साहिब भारत आए गए हैं। इसके बाद अब तीन प्रतियां ही अफगानिस्तान में रह गई हैं। शिरोमणि अकाली दल के दिल्ली यूनिट के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने कहा, 'यह अफगानिस्तान में सिखी के एक युग की समाप्ति है। तालिबान की ओर से अफगानिस्तान पर कब्जा किए जाने के चलते सिखों को अपने घरों को छोड़कर निकलना पड़ा है।' गुरुग्रंथ साहिब की तीन प्रतियां काबुल, गजनी और जलालाबाद के गुरुद्वारों से बेहद भारी मन के साथ भारत लाई गई हैं। 

 

पुराना है सिखों का अफगानिस्तान से कनेक्शन, गुरु नानक ने दिया था संदेश

अफगानिस्तान में यह सिख संप्रदाय के युग के खत्म होने जैसा है, लेकिन भारत में यह एक नई शुरुआत भी है। अफगानिस्तान का सिख पंथ से पुराना कनेक्शन रहा है। सिख पंथ के संस्थापक गुरु नानक देव ने भी अफगानिस्तान की यात्रा की थी और शांति, भाईचारे एवं सहिष्णुता का संदेश दिया था। 16वीं शताब्दी में अफगानिस्तान में उनके दौरे के साथ ही वहां सिख धर्म की नींव पड़ी थी।

You can share this post!

Comments

Leave Comments