जम्मू-कश्मीर में चेनाब नदी पर बन रहे भारत के किरू हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्लांट प्रोजेक्ट ने पाकिस्तान को परेशान कर दिया है। पाकिस्तान ने इस प्रोजेक्ट के डिजाइन को लेकर आपत्ति दर्ज की है। हालांकि, भारत ने एक बार फिर से स्पष्ट कर दिया है कि यह पनबिजली योजना पूरी तरह से सिंधु जल समझौते अनुरूप है। पाकिस्तान ने बीते हफ्ते इस परियोजना के डिजाइन पर आपत्ति जताई है।
भारतीय के सिंधु जल आयोग के प्रमुख प्रदीप कुमार सक्सेना ने बताया कि उनके पाकिस्तानी समकक्ष सैयद मोहम्मद मेहर अली शाह ने बीते हफ्ते आपत्ति दर्ज कराई थी। हालांकि, प्रदीप सक्सेना ने इस बात पर जोर दिया कि डिजाइन पूरी तरह से सिधु जल समझौते के प्रावधानों के अनुरूप है। देश में जल संसाधन से जुड़े शीर्ष संगठन सेंट्रल वॉटर कमिशन ने भी इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है।
सक्सेना ने यह भी कहा कि भारत को अपने अधिकारों के इस्तेमाल का पूरा अधिकार है। उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट को लेकर पाकिस्तान की आपत्तियों पर स्थायी सिंधु आयोग की पाकिस्तान में इस साल होने वाली बैठक के दौरान चर्चा की जा सकती है। सिंधु जल समझौते के तहत पाकिस्तान किसी प्रोजेक्ट के डिजाइन को लेकर जानकारी प्राप्त होने के तीन महीने के अंदर आपत्ति दर्ज करा सकता है।
पाकिस्तान अक्सर यह आरोप लगाता रहता है कि यह परियोजना 1960 में हुए सिंधु जल समझौते का उल्लंघन करती है। सिंधु जल संधि भारत को पूर्वी नदियों यानी रावी, व्यास और सतलज के पानी पर पूर्ण नियंत्रण देती है, जबकि पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों यानी चिनाब, झेलम और सिंधु के पानी को बिना रोके उपयोग करने का अधिकार देती है।
कीरू महा परियोजना की कुल क्षमता 624 मेगावाट है जो चिनाब नदी पर बन रही है। इस परियोजना में 4287.59 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत आएगी। इस परियोजना से उत्तरी ग्रिड को आवश्यक बिजली सुलभ होगी और इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर के दूर-दराज के क्षेत्रों के विकास की प्रक्रिया में तेजी भी आएगी।
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