अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद दुनियाभर में सबसे बड़ी बहस यही है कि इस बार का शासन कैसा होगा। बर्बरता की कई घटनाओं के चलते लोगों में एक बार फिर से वही पुराने तालिबानी शासन की याद ताजा हो रही है। इसलिए यह आशंका जताई जा रही है तालिबान-2 के नेताओं का शासन भी तालिबान-1 जैसे ही खतरनाक होगा। अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान नई सरकार बनाने का प्रयास कर रहे हैं। इसमें समावेश और सुधार की प्रतिज्ञा की बात की जा रही है। लेकिन तालिबान के नेतृत्व पर नजर डालने से पता चलता है कि यह पिछले बार के शासन के मुकाबले इसमें सुधार की गुंजाइश बहुत कम नजर आती है।
तालिबान का नेतृत्व इस समय धार्मिक मौलवी हैबतुल्लाह अखुंदजादा कर रहा है। जो 2016 में तालिबान का प्रमुख बना था। अखुंदजादा ज्यादातर मजहबी मामले देखता है। उसने पहले भी दोषी पाए गए कातिलों और अवैध संबंध रखने वालों की हत्या और चोरी करने वालों के हाथ काटने के आदेश दिए थे। वहीं मुल्ला बरादर तालिबान के नेता मुल्ला मोहम्मद उमर के सबसे भरोसेमंद सिपाही और डिप्टी थे। वह अफगान बलों के खिलाफ सबसे खूंखार हमलों का नेतृत्व करते थे। साल 2018 में जब कतर में अमेरिका से बातचीत करने के लिए तालिबान का दफ्तर खुला तो उन्हें तालिबान के राजनीतिक दल का प्रमुख बनाया गया।
आइए जानते हैं कि तालिबान में कौन क्या है और कैसे काम करता है
तालिबान प्रमुख : हैबतुल्लाह अखुंदजादा
2016 में अखतर मोहम्मद मंसूर की अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे जाने के बाद हैबतुल्लाह अखुंदजादा तालिबान का प्रमुख बना। 1980 के दशक में उन्होंने सोवियत संघ के खिलाफ अफगानिस्तान के विद्रोह में कमांडर की भूमिका निभाई थी, लेकिन उनकी पहचान सैन्य कमांडर के मुकाबले एक धार्मिक विद्वान की अधिक है। 1996 से 2001 के बीच तालिबान शासन के दौरान न्यायिक प्रणाली का भी प्रमुख था। वो अफगान तालिबान का प्रमुख बनने से पहले भी तालिबान के शीर्ष नेताओं में शुमार थे और धर्म से जुड़े तालिबान के आदेश वही देते थे।
तालिबान का नेतृत्व परिषद
तालिबान के नेतृत्व परिषद में 20 सबसे वरिष्ठ सदस्य होते हैं। इनका काम उच्च स्तरीय नेताओं को नियुक्त करना होता है।
उप नेता : अब्दुल गनी बरादर तालिबान का सह संस्थापक है। पाकिस्तान में 2010 में गिरफ्तार हो गया था। दोहा में अमेरिका के साथ बातचीत होने से पहले 2018 में रिहा किया गया। अफगानिस्तान में हाल ही में 20 साल बाद वापस लौटा है।
मोहम्मद याकूब
तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर का बेटा है मोहम्माद याकूब। याकूब संगठन के विदेशों में चल रहे ऑपरेशन की कमान संभालता है।
सिराजुद्दीन हक्कानी
सिराजुद्दीन हक्कानी अमेरिका द्वारा प्रतिबंधित आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क का प्रमुख है। आतंकी संगठन तालिबान और अल कायदा से जुड़ा हुआ है। अमेरिका ने 2009 में इसके ऊपर पांच मिलियन डॉलर का इनाम रखा था जिसे 2014 में बढ़ाकर 10 मिलियन डॉलर कर दिया गया था।
प्रमुख कमांडर :
खलिल उर रहमानी हक्कानी
तालिबान का वरिष्ठ कमांडर तालिबान के लिए चंदा इकट्ठा करने का काम करता है। साथ ही अफगानिस्तान में तालिबान के ऑपरेशन को भी संभालता है। सिराजुद्दीन हक्कानी इसके चाचा हैं। अमेरिका ने खलिल को भी वैश्विक आंतकी घोषित कर रखा है। 2011 में पांच मिलियन डॉलर का इनाम भी रखा था।
कारी जिया उर रहमान
कुनार प्रांत में तालिबान का वरिष्ठ कमांडर है। अलकायदा और तालिबान दोनों के लिए काम करता है। इसने ही आत्मघाती हमलावार के लिए प्रशिक्षण कैंपों की स्थापना की। कुनार में इसने अमेरिका और नाटो सेनाओं के खिलाफ कई हमले की योजना बनाई और उसे अंजाम दिया। इनमें से एक हमले में अमेरिका के दौ सैनिकों की मौत भी हो गई थी। 2013 में हवाई हमले के दौरान यह बच गया था।
प्रमुख गवर्नर :
हाजी वफा: कंधार प्रांत का गवर्नर
हाजी तालिब: हेलमंड प्रांत का गवर्नर
निदा मोहम्मद: नगरहार प्रांत का गवर्नर
प्रवक्ता :
तालिबान का प्रवक्ता: जैबुल्लाह मुजाहिद
राजनीति दफ्तर में अंतरराष्ट्रीय मीडिया का प्रवक्ता: सुहैल शाहीन
राजनीतिक दफ्तार में अरब मीडिया के लिए प्रवक्ता: मोहम्मद नईम
आयोग :
अब्दुल हकीम
राजनीतिक मामलों के आयोग के प्रमुख हैं। कट्टर मौलवी दोहा में हुई शांति वार्ता में प्रमुख मध्यस्थ थे।
अनस हक्कानी
राजनीतिक मामलों के आयोग में वरिष्ठ सदस्य हैं। नेतृत्व परिषद के सदस्य हैं। साथ ही तालिबान की नई सरकार के गठन की वार्ता में महत्वपूऔर सरकार गठन की वार्ता में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति है।
इसे मिलाकर 15 और आयोग
राजनीतिक के अलावा गुप्तचर, सैन्य, आर्थिक, धार्मिक, नागरिक सुरक्षा, कृषि, प्रशिक्षण, उच्च शिक्षा, सांस्कृतिक, मल्टीमीडिया, ऊर्जा मामलों के भी आयोग हैं।
Comments
Leave Comments