अमरुल्लाह सालेह अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति हैं। अशरफ गनी के अफगानिस्तान छोड़े जाने के बाद नियमों का हवाला देते हुए उन्होंने खुद को अफगानिस्तान का राष्ट्रपति घोषित किया हुआ है। उन्होंने लगातार तालिबान और पाकिस्तान को लताड़ लगाई है। अब अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान छोड़े जाने के बाद उन्होंने अमेरिका को खरी-खोटी सुनाई है।
उन्होंने कहा है, 'अफगानिस्तान को आख़िरी अमेरिकी सैनिक के बैग में पैक करके नहीं रखा गया। अफगानिस्तान यहीं है। नदियां बह रही हैं और यहां के पहाड़ बेहद खूबसूरत हैं। तालिबान एक अलोकप्रिय गुरिल्ला फ़ोर्स है और पूरा देश उनसे नफरत करता है। यही कारण है कि पूरा देश तालिबान से बचना चाहता है।' उन्होंने अमेरिका पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि एक महाशक्ति ने मिनी पॉवर बनने का फैसला किया है तो ठीक है।
अमरुल्लाह सालेह का जन्म पंजशीर में अक्टूबर 1972 में हुआ था। ताजिक मूल के अमरुल्लाह ने कम उम्र में ही अहमद शाह मसूद के तालिबान विरोधी आंदोलन को जॉइन कर लिया था। अमरुल्लाह सालेह निजी तौर पर तालिबान का दंश झेल चुके हैं। 1996 में तालिबानों ने उनकी बहन का अपहरण कर हत्या कर दी थी।
सालेह राजनीति में आने से पहले जासूसी विभाग में रहे हैं। वह अफगानिस्तान खुफिया एजेंसी के प्रमुख रह चुके हैं। पिछले कुछ महीनों में तालिबान ने ऊपर कई जानलेवा हमले किए हैं। सालेह मौजूदा वक्त में पंजशीर घाटी में हैं जो अब तक तालिबान के कब्जे से बाहर है।
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