सीबीआई के सब-इंस्पेक्टर अभिषेक तिवारी ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री के खिलाफ प्रारंभिक जांच और भ्रष्टाचार के मामले से संबंधित जानकारी और दस्तावेज देने के बदले जून में अनिल देशमुख के वकील से आईफोन 12-प्रो कथित तौर पर घूस लिया था। जांच एजेंसी ने कर्मचारी के खिलाफ दर्ज अपनी प्राथमिकी में यह बात कही है।
तिवारी को सीबीआई ने बुधवार को कथित तौर पर सूचना देने के आरोप में गिरफ्तार किया था। आरोप लगाया गया था कि देशमुख ने पुलिसकर्मियों को उनकी ओर से रिश्वत लेने के लिए मजबूर किया और अधिकारियों के स्थानांतरण और पोस्टिंग में भी प्रभाव डाला। इस मामले में गुरुवार को जांच एजेंसी ने देशमुख के वकील आनंद डागा को भी गिरफ्तार किया।
आपको बता दें कि देशमुख के खिलाफ जांच मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह द्वारा बॉम्बे हाईकोर्ट में लगाए गए आरोपों पर आधारित है।
तिवारी और डागा के खिलाफ कार्रवाई सीबीआई की कथित प्रारंभिक जांच (पीई) रिपोर्ट के लीक होने के बाद हुई है, जिसमें पाया गया कि परम बीर सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों पर देशमुख के खिलाफ कोई संज्ञेय अपराध नहीं बनाया गया था।
सीबीआई की 31 अगस्त की प्राथमिकी के अनुसार, तिवारी ने इसी मामले में पुणे का दौरा किया था। सीबीआई ने प्राथमिकी में कहा है, "यह पता चला है कि अधिवक्ता आनंद डागा ने अभिषेक तिवारी से मुलाकात की और उक्त पूछताछ और जांच के बारे में विवरण देने के बदले में अवैध तरीके से एक आईफोन 12 प्रो उसे दिया। इसससे सार्वजनिक कर्तव्य का अनुचित प्रदर्शन हुआ। यह भी विश्वसनीय रूप से पता चला है कि वह नियमित अंतराल पर डागा से अवैध रूप से रिश्वत प्राप्त कर रहा था।”
एजेंसी ने कहा कि तिवारी ने व्हाट्सऐप के माध्यम से डागा के साथ कथित तौर पर विभिन्न दस्तावेजों की प्रतियां साझा कीं, जैसे "कार्यवाही का ज्ञापन, सीलिंग-अनसीलिंग ज्ञापन, बयान, जब्ती ज्ञापन आदि"। प्राथमिकी में कहा गया है कि तिवारी 21 अप्रैल को देशमुख के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी और पीई दोनों से जुड़े थे और उन्होंने रिपोर्ट तैयार करने में गुंजियाल की सहायता की, जिसमें कथित तौर पर पूर्व मंत्री को क्लीन चिट दी गई थी।
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