अफगानिस्तान में तालिबान की नई सरकार में ताज मीर जवाद को डिप्टी चीफ ऑफ इंटेलिजेंस बनाया गया है। ताज मीर जवाद के बारे में कहा जाता है कि वह पाकिस्तानी सेना का करीबी है और वह आत्मघाती हमलावरों का नेटवर्क चलाता था। कई देशों के सुरक्षा और खुफिया अधिकारियों ने ताज मीर जवाद को काबुल पर घातक हमलों के लिए जिम्मेदार आत्मघाती हमलावरों के एक नेटवर्क मुखिया के रूप में डिस्क्राइब किया है। तालिबान के सैन्य ढांचे का अहम सदस्य माने जाने वाला ताज मीर जवाद तथाकथित अफगान सरकार में नियुक्त 33 नेताओं में शामिल है, जिसकी घोषणा मंगलवार शाम को प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने की थी। वह नए डायरेक्टर जनरल ऑफ इंटेलिजेंस अब्दुल हक वसीक के अधीन डिप्टी के रूप में काम करेगा।
विभिन्न देशों के कई सेवारत और पूर्व सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि हाल के वर्षों में काबुल में किए गए कुछ सबसे विनाशकारी आत्मघाती हमलों में जवाद का हाथ था। एक अधिकारी ने जवाद को डिप्टी चीफ ऑफ इंटेलिजेंस बनाए जाने को 'बुरी खबर' बताया। एक अन्य पूर्व पश्चिमी खुफिया अधिकारी ने नाम न जाहिर होने देने की शर्त पर कहा कि जवाद ने आत्मघाती नेटवर्क को निर्देशित किया है और उसकी पाकिस्तान की आईएसआई और सैन्य सुरक्षा प्रतिष्ठान के साथ काफी नजदीकी रही है।
अफगानिस्तान की जासूसी एजेंसी यानी राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय (एनडीएस) के प्रमुख के रूप में सेवा दे चुके रहमतुल्लाह नबील ने 2018 में आत्मघाती हमलावरों के लिए एक प्रशिक्षण केंद्र, अल-हमज़ा शहीद ब्रिगेड की देखरेख के लिए जवाद को दोषी ठहराया था, जिसे मौलवी जबीउल्लाह के नाम से भी जाना जाता है। नबील ने उस समय यह भी कहा था कि कंधार में तालिबान का सफलतापूर्वक मुकाबला करने वाले अफगान पुलिस प्रमुख जनरल अब्दुल रजीक अचकजई की हत्या करने वाले आत्मघाती हमलावर को अल-हमज़ा शहीद ब्रिगेड द्वारा प्रशिक्षित किया गया था। बता दें कि इस सेंटर पर आत्मघाती हमलावर जवाद के सुपरविजन में ही ट्रेनिंग लेते थे। जवाद उस समय पाकिस्तानी शहर पेशावर में रहता था और उसने तालिबान के क्वेटा शूरा या परिषद के सदस्य मुल्ला शिरीन के साथ जनरल रज़ीक की हत्या की योजना बनाई थी।
पाकिस्तान के कबायली इलाके मीर अली में विस्फोटकों के एक्सपेरिमेंट के दौरान जवाद एक एक्सीडेंटल ब्लास्ट में घायल हो गया था। नबील ने कहा कि जवाद को पाकिस्तानी जाजूसी एजेंसी आईएसआई पाकिस्तानी पासपोर्ट पर इलाज के लिए श्रीलंका ले गया था, मगर यह असफल रहा और उसका ट्रीटमेंट वहां नहीं हो पाया। पेशावर शिफ्ट करने से पहले जवाद को आगे के ट्रीटमेंट के लिए फिर कराची लाया गया।
जिहादी समूहों को बारीकी से ट्रैक करने वाली वेबसाइट द लॉन्ग वॉर जर्नल ने 2013 तक रिपोर्ट दी थी कि जवाद खूंखार आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क में एक वरिष्ठ कमांडर भी था और संयुक्त रूप से एक अन्य तालिबान कमांडर दावूद के साथ 'काबुल अटैक नेटवर्क' को लीड करता था। दरअसल, 'काबुल अटैक नेटवर्क' राजधानी और आसपास के प्रांतों वार्डक, लोगर, नंगरहार, लगमन, कपिसा, खोस्त, पक्तिया और पक्तिका में संचालित होता है। इसने पिछले कुछ वर्षों में राजधानी में कई हाई-प्रोफाइल आतंकी हमलों को अंजाम दिया है। अल कायदा, लश्कर-ए-तैयबा, इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज्बेकिस्तान और हिज्ब-ए-इस्लामी गुलबुद्दीन भी काबुल अटैक नेटवर्क द्वारा निर्देशित ऑपरेशन में भाग लेते रहे हैं।
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