जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले के वानपोह इलाके में रविवार को हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ने ली है। सोशल मीडिया पर सर्कुलेट हो रहे बयान में लिबरेशन फ्रंट ने कहा है कि यह हमला हिंदुत्ववादी ताकतों की ओर से मुस्लिमों को लिंच किए जाने के जवाब में है। लिबरेशन फ्रंट ने कहा कि बीते एक साल में बिहार में ही 200 मुस्लिमों को लिंच करके मारा गया है। यही नहीं इस दहशतगर्द संगठन ने जम्मू-कश्मीर से बाहर के लोगों को लौट जाने की धमकी दी है। यूएलएफ के प्रवक्ता उमर वानी ने कहा, 'हम पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि बाहरी लोग हमारी धरती से चले जाएं, वरना उन्हें अंजाम भुगतना होगा। निर्दोष नागरिकों पर भारतीय फोर्सेज की ओर से किए गए हमलों के जवाब में ये अटैक किए गए हैं।'
इससे पहले भी यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट और द रेजिस्टेंस फोर्स ने स्थानीय नागरिकों और बाहरी लोगों पर हमले की जिम्मेदारी ली थी। रविवार रात से ही सुरक्षा बल कश्मीर घाटी में बाहरी मजदूरों को सुरक्षित स्थानों में पहुंचाने में लगे हैं। गांदरबल, सोपोर और दक्षिण कश्मीर के अन्य इलाकों से मजदूरों को सुरक्षा बल सुरक्षित स्थानों में ले जा रहे हैं। एक अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि बहुत से बाहरी मजदूरों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है। तीन गैर-स्थानीय मजदूरों को कुलगाम के वानपोह इलाके में आतंकियों ने निशाना बनाया था। इनमें से दो की तत्काल मौत हो गई थी, जबकि एक को अनंतनाग के अस्पताल में एडमिट कराया गया है।
बीते 24 घंटे में कश्मीर घाटी में बाहरी लोगों पर हुआ यह तीसरा आतंकी हमला था। इससे पहले बिहार के ही एक स्ट्रीट वेंडर और यूपी के एक कारपेंटर की आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। ये दोनों हमले शनिवार की शाम को किए गए थे। इस महीने अब तक 11 नागरिकों को आतंकवादी निशाना बना चुके हैं। एक अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने अलग-अलग इलाकों में रह रहे बाहरी लोगों की लिस्ट बनाना शुरू कर दिया है ताकि उनकी सुरक्षा का ख्याल रखा जा सके। इन हमलों के बाद पूरे कश्मीर में ही सुरक्षा बढ़ा दी गई है। खासतौर पर ऐसे इलाकों में सुरक्षा बढ़ाई गई है, जहां गैर-कश्मीरी लोगों की संख्या ज्यादा है।
इसके अलावा कश्मीरी पंडितों की रिहाइश वाले इलाकों में भी तैनाती बढ़ाई गई है। बाहरी लोगों की हत्या की जम्मू-कश्मीर के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने निंदा की है। कुलगाम से 4 बार विधायक रहे युसूफ तारिगामी ने इन हमलों को बर्बर बताते हुए कहा कि सभ्य समाज में इस तरह की घटनाओं को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
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