जम्मू-कश्मीर में निर्दोष नागरिकों की हत्याओं के मामलों की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी करेगी। पूरे मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों के मुताबिक सरकार की ओर से जल्दी ही इस संबंध में आदेश जारी किया जा सकता है। फार्मेसी चलाने वाले माखनलाल बिंदरू, गैर-कश्मीरी वीरेंद्र पासवान, स्कूल की प्रिंसिपल सुपिंदर कौर और टीचर दीपक चंद समेत कई लोगों की हत्याओं के मामलों में दर्ज एफआईआर पर आगे की कार्रवाई केंद्रीय एजेंसी संभाल सकती है। जम्मू-कश्मीर और केंद्र की सरकार का मानना है कि हाल के दिनों में नागरिकों पर बढ़े हमले किसी बड़ी साजिश का हिस्सा हैं। इन घटनाओं में पाक समर्थित द रेजिस्टेंस फोर्स और अन्य आतंकी संगठनों का हाथ सामने आया है।
पूरे घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि एनआईए को इन हमलों के बारे में पहले से ही कुछ जानकारी है। बीते कुछ दिनों में आतंकवाद से जुड़े मामलों की जांच के लिए एजेंसी ने बड़े पैमाने पर छापेमारियां की हैं। यही नहीं एजेंसी ने कई लोगों को आतंकवाद से जुड़े होने के सिलसिले में गिरफ्तार भी किया है। एजेंसी ने बीते एक सप्ताह में ही द रेजिस्टेंस फोर्स से जुड़े 9 लोगों को अरेस्ट किया है। इस संगठन पर ही इन हमलों में शामिल होने का आरोप लगा है। एनआईए ने दो दर्जन से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी के बाद इन लोगों को अरेस्ट किया था।
अधिकारियों का कहना है कि पाकिस्तान ने यह साजिश रची है ताकि कश्मीर में शांति को भंग किया जा सके और इन्वेस्टर्स को हतोत्साहित किया जा सके। अब तक नागरिकों की हत्याएं नहीं होती थीं, लेकिन इस नए ट्रेंड ने चिंताओं को बढ़ा दिया है। इस बीच होम मिनिस्टर अमित शाह ने सभी एजेंसियों को मौजूदा हालातों से सख्ती के साथ निपटने का आदेश दिया है। अलग-अलग एजेंसियों के साथ अमित शाह ने कई समीक्षा बैठकें की हैं। अकेले अक्टूबर महीने में ही आतंकियों ने घाटी में 11 नागरिकों को मौत के घाट उतार दिया है। बाहरी लोगों पर भी हमले बढ़े हैं। इसके चलते प्रवासी मजदूरों ने घाटी और आसपास के इलाकों से पलायन करना शुरू कर दिया है।
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