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मुफ्त राशन की कीमत पर मिली पेट्रोल-डीजल पर राहत? समझिए सरकार के खर्चे का हिसाब

दिवाली से ठीक एक दिन पहले केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती की। इस कटौती के बाद देश के अधिकतर राज्यों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर थोड़ी राहत जरूर मिली है।

 

अब सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया है कि 30 नवंबर के बाद प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत मुफ्त राशन वितरण को आगे बढ़ाने का प्रस्ताव नहीं है। मतलब ये हुआ कि दिसंबर से लोगों को मुफ्त राशन नहीं मिलेगा। इन दोनों खबरों को एक साथ जोड़कर देखा जा रहा है। सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है कि मुफ्त राशन पर रोक लगाने की योजना थी, तभी पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में थोड़ी राहत दी गई। सरकार की ओर से भी अकसर पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर मुफ्त राशन का हवाला दिया जाता रहा है। 

बीते दिनों खुद पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने भी ये बताया था कि पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क से जुटाई गई रकम का सरकार मुफ्त राशन, फ्री वैक्सीनेशन जैसी सुविधाओं में इस्तेमाल कर रही है। अब सवाल है कि आखिर सरकार ने मुफ्त राशन पर कितने रुपए खर्च कर दिए हैं। वहीं, पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क को घटाए जाने से सरकार पर कितना बोझ बढ़ जाएगा। आइए इसका हिसाब भी समझ लेते हैं।

 

 

मुफ्त राशन पर कितने खर्च: प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत मुफ्त राशन वितरण पर सरकार ने करीब 2 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए हैं। बीते अगस्त महीने में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कार्यक्रम में इस खर्च की जानकारी दी थी। उन्होंने कहा था कि महामारी के दौरान 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक के खर्च के साथ 80 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराया गया है। आपको बता दें कि पीएमजीकेएवाई की घोषणा मार्च, 2020 में की गई थी। इसे कई बार बढ़ाया गया।

मई, 2021 में आखिरी बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 नवंबर तक बढ़ाने का ऐलान किया था। इस योजना के तहत करीब 80 करोड़ लाभार्थियों को नवंबर तक हर महीने पांच किलो गेहूं या चावल और एक किलो दाल उपलब्ध कराने की बात कही गई थी।  न्यूज एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक मई 2021 से नवंबर 2021 के बीच की अवधि में मुफ्त राशन पर सरकार का खर्च 1.1 लाख करोड़ रुपए के आसपास रहेगा।

 

 

उत्पाद शुल्क कटौती का कितना बोझ: वहीं, केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल के उत्पाद शुल्क में क्रमश: 5 रुपए और 10 रुपए की कटौती की है। इस कटौती के बाद सरकार को प्रति माह 8,700 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा। इससे सालाना आधार पर एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का असर पड़ेगा। वहीं चालू वित्त वर्ष की बाकी अवधि के लिए, प्रभाव 43,500 करोड़ रुपये का होगा। आपको बता दें कि चालू वित्त वर्ष का आखिरी महीना मार्च 2022 है।

सरकार ने कितने जुटाए: पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने जुलाई में संसद को बताया था कि पिछले वित्त वर्ष में पेट्रोल और डीजल पर केंद्र सरकार का टैक्स कलेक्शन 88 प्रतिशत बढ़कर 3.35 लाख करोड़ रुपये हो गया है। एक साल पहले ये कलेक्शन 1.78 लाख करोड़ रुपए था। आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-सितंबर 2021 के दौरान सरकार का कुल उत्पाद शुल्क कलेक्शन बढ़कर 1.71 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गया।

 

 

वहीं वित्तीय वर्ष 2020-21 में उत्पाद शुल्क संग्रह 3.89 लाख करोड़ और 2019-20 में 2.39 लाख करोड़ रुपए था। बता दें कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था लागू होने के बाद, उत्पाद शुल्क केवल पेट्रोल, डीजल, एटीएफ और प्राकृतिक गैस पर लगाया जाता है। अन्य सभी सामान और सेवाएं जीएसटी के तहत हैं।

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