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राज्य

कैराना, मेरठ, मथुरा... योगी ने क्यों बढ़ाए पश्चिम यूपी के दौरे, टिकैत इफेक्ट को यूं करेंगे कमजोर

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सीएम योगी आदित्यनाथ पश्चिम यूपी के जिलों के ताबड़तोड़ दौरे कर रहे हैं। शामली, मथुरा, मेरठ और गाजियाबाद जैसे जिलों के दौरे कर वे इन दिनों कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन कर रहे हैं। यही नहीं शामली के कैराना कस्बे में उन्होंने पलायन कर गए उन लोगों से भी मुलाकात की थी, जो वापस लौट आए हैं। इसी कड़ी में बुधवार को वह मथुरा में पहुंचे थे और गुरुवार को मेरठ के दौरे पर हैं। शुक्रवार को वह गाजियाबाद में आ रहे हैं, जहां वह गार्बेज फैक्ट्री, ऑडिटोरियम समेत कई अहम संस्थानों का शिलान्यास व लोकार्पण करेंगे। हालांकि बात यहीं तक सीमित नहीं लगती है, इसके गहरे राजनीतिक मायने भी हैं।

 

कैराना में पलायन के मुद्दे को उभारने, मथुरा में हिंदुत्व को धार देने से भी संकेत मिलता है कि आगामी विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा और योगी की क्या रणनीति रहने वाली है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक भाजपा की स्थिति पूर्वी यूपी, बुंदेलखंड और अवध जैसे यूपी के इलाकों में मजबूत मानी जा रही है, लेकिन यूपी में किसान आंदोलन और लखीमपुर कांड के चलते पार्टी की चिंताएं कुछ बढ़ती दिख रही है। माना जा रहा है कि बिगड़े माहौल की काट के लिए ही योगी ने पश्चिम यूपी के जिलों का दौरा बढ़ा दिया। इसके साथ ही गन्ना का समर्थन मूल्य 340 रुपये कर दिया है। इस तरह एक तरफ वह पलायन जैसे मुद्दे की बात कर सुरक्षा से जुड़े मसले को उभार रहे हैं। वहीं गन्ना समर्थन मूल्य में इजाफे के जरिए वह किसानों को भी साधने की कोशिश में हैं।

 

 

माना जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ के ये दौरे राकेश टिकैत और किसान आंदोलन के इफेक्ट की काट की एक कोशिश हैं। दरअसल किसान आंदोलन एक तरफ जाट समुदाय को भाजपा के खिलाफ लामबंद करता दिख रहा है तो वहीं मुस्लिम समुदाय के वोट भी बड़ी संख्या में सपा के पाले में जाने की संभावना है। ऐसे में जाट, मुस्लिम गठजोड़ एक बार फिर से पश्चिम यूपी में उभर सकता है, जो कभी सपा और रालोद जैसे दलों की ताकत हुआ करता था। ऐसे में भाजपा किसान आंदोलन से जुड़े मुद्दों के मुकाबले हिंदुत्व, सुरक्षा, विकास जैसे मुद्दों को आगे बढ़ाना चाहती है। इससे एक तरफ वह सपा-रालोद की रणनीति में सेंध लगा सकेगी तो वहीं जाट बिरादरी के बड़े वोट पर भी हिस्सेदारी की तैयारी है।

 

 

जिन्ना का जिन्न उभरने से भी मिले संकेत, किस करवट बैठेगा राजनीति का चुनावी ऊंट

यूपी की राजनीति का चुनावी ऊंट फिलहाल जिन्ना, हिंदुत्व, सुरक्षा, गुंडाराज जैसे मुद्दों की ओर करवट लेता दिख रहा है। अखिलेश यादव की ओर से पहले जिन्ना, नेहरू, गांधी और पटेल जैसे नेताओं का एक साथ नाम लिया गया। फिर उनके सहयोगी ओपी राजभर की ओर से यह कह गया कि जिन्ना पहले पीएम होते तो देश नहीं बंटता। इससे भी साफ है कि सपा भी यही चाहती है ताकि मुस्लिम वोटों का बंटवारा वह रोक सके और उसका बड़ा हिस्सा हासिल कर पाए।

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