पीएम मोदी ने कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान कर दिया है मगर औपचारिक तौर पर केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा बुधवार को केंद्र सरकार की तरफ से कृषि कानूनों की वापसी की पुष्टि करने की संभावना है। इसके बाद 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में इन तीनों कृषि कानूनों को दोनों सदनों में निरस्त किया जाएगा। हालांकि, उम्मीद जताई जा रही है कि कृषि कानूनों को खत्म करने से पहले सरकार इस पर छोटी चर्चा का प्रस्ताव पेश कर सकती है। इतना ही नहीं, कृषि मंत्री इस बात को भी समझाएंगे कि आखिर कानून वापस लेने की क्या वजहें हैं।
CNN-News18 ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि कृषि कानूनों को संवैधानिक तौर पर निरस्त करने से पहले सरकार संसद में एक छोटी चर्चा का प्रस्ताव दे सकती है। सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर संसद के दोनों सदनों को संबोधित कर सकते हैं और देश को यह समझाएंगे कि आखिर सरकार द्वारा कृषि कानूनों को क्यों वापस लिया गया। जब संसद के दोनों सदनों से कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया जाएगा, तो इसे फिर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
दरअसल, संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से शुरू होगा और 23 दिसंबर तक चलेगा। प्रत्येक सदन की लगभग 20 बैठकें होंगी। यह सत्र हंगामेदार रहने की संभावना है। शीतकालीन सत्र में तीन नए कृषि कानून को लेकर भी हंगामा होने की पूरी संभावना थी, लेकिन बीच में ही पीएम मोदी ने इसे वापस लेने का ऐलान कर दिया। हालांकि, अगर सरकार कृषि कानूनों पर चर्चा करवाती है तो इसमें भी हंगामे के आसार हैं।
बता दें कि गुरु नानक जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था। देश के नाम संबोधन में शुक्रवार को पीएम मोदी ने देशवासियों से माफी मांगते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया और कहा कि उनकी तपस्या में ही कुछ कमी रह गई होगी, जिसकी वजह से कुछ किसानों को उनकी सरकार समझा नहीं पाई और अंत में यह कानून वापस लेना पड़ा। हालांकि, पीएम मोदी ने कृषि कानूनों को अब भी डिफेंड किया और कहा कि कुछ किसानों के न समझने की वजह से ही यह फैसला लेना पड़ा।
इधर, दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों का कहना है कि जब तक कानूनी तौर पर संसद से कृषि कानून खत्म नहीं हो जाते, तब तक वह हटेंगे नहीं। राकेश टिकैत ने भी स्पष्ट कहा है कि संघर्ष विराम सरकार ने किया है, हमने नहीं। हमारा आन्दोलन जारी रहेगा। हमारे अभी और मुद्दे हैं जिन पर संघर्ष जारी रहेगा। राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार जो कानून और लेकर आ रही है उस पर हमसे बात कर ले, नहीं तो पूरे देश में संयुक्त किसान मोर्चा का आन्दोलन होगा।
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