अमेरिका ने लोकतंत्र पर चर्चा के लिए 9 और 10 दिसंबर को वर्चुअल समिट का आयोजन किया है। इसमें अमेरिका ने कुल 110 देशों को आमंत्रित किया है, जिसमें भारत भी शामिल है। लेकिन चीन को उसने इस सूची से बाहर रखा है, जबकि उसके ताइवान को आमंत्रित किया है। इससे अमेरिका और चीन के बीच आने वाले दिनों में तनाव बढ़ सकता है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय की ओर से मंगलवार को जारी की गई सूची से चीन के अलावा तुर्की को भी बाहर रखा गया है, जो अमेरिका के साथ नाटो संगठन का भी सदस्य है। दक्षिण एशिया की बात करें तो पाकिस्तान को अमेरिका ने आमंत्रित किया है, लेकिन अफगानिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका को लिस्ट से बाहर रखा गया है। यह सूची विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर जारी कर दी गई है।
यही नहीं मिडल ईस्ट के देशों की बात करें तो ईरान को बाहर रखा गया है, जबकि इराक और इजरायल को चर्चा में आमंत्रित किया गया है। यही नहीं अमेरिका ने अरब देशों के अपने सहयोगियों मिस्र, सऊदी अरब, जॉर्डन, कतर और यूएई को भी सूची में शामिल नहीं किया है। जो बाइडेन प्रशासन ने ब्राजील को आमंत्रित किया है, जिसके राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो की अकसर उनके कट्टर फैसलों के चलते आलोचना की जा रही है। उन्हें डोनाल्ड ट्रंप का समर्थक माना जाता है। यूरोप से भी अमेरिका ने कई देशों को छोड़ा है। यहां से हंगरी को आमंत्रण नहीं मिला है, जबकि पोलैंड को शामिल किया गया है।
अफ्रीकी देशों की बात करें तो कॉन्गो, दक्षिण अफ्रीका, नाइजीरिया और नाइजर को भी लिस्ट में शामिल किया गया है। वाइट हाउस की ओर से इस साल अगस्त में ही इस समिट के आयोजन का ऐलान किया गया था। इस समिट के आयोजन की तीन मुख्य थीम रखी गई हैं, तानाशाही के खिलाफ संघर्ष, करप्शन से लड़ाई और मानवाधिकारों का सम्मान। भारत और ताइवान को अमेरिका की ओर से आमंत्रित किया जाना और चीन को बाहर रखने पर अब तक ड्रैगन की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन इससे दोनों देशों के बीच रिश्ते बिगड़ने की आशंका है।
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