पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी और पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा हाल ही में दिल्ली बुलाया गया था। दोनों को एक टीम के रूप में काम करने के लिए कहा गया। इसके बाद भी स्थिति नहीं बदली है। नशीले पदार्थों की तस्करी पर एसटीएफ की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की अपनी मांग पर सिद्धू के अड़े रहने पर चन्नी ने गुरुवार को मीडिया के सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि इससे अदालत में चल रहे मामले पर असर पड़ सकता है।
कैप्टन अमरिंदर सिंह पर एसटीएफ की रिपोर्ट पर बैठे रहने का आरोप लगाने वालों में सिद्धू का नाम लिए बिना चन्नी ने कहा, "नेता बयान दे रहे हैं। 'संवेदनशील' मुद्दे को सार्वजनिक मंच पर नहीं उठाना चाहिए।" साथ ही, उन्होंने पीपीसीसी प्रमुख के साथ किसी भी मतभेद से इनकार करते हुए कहा, "सरकार को पार्टी लाइन पर चलना चाहिए।"
आपको बता दें कि दिल्ली में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक में सीएम चन्नी ने सिद्धू द्वारा अपनी ही सरकार की आलोचना करने पर आपत्ति जताई थी।
सूत्रों ने कहा कि समस्या की जड़ यह थी कि पार्टी ने चन्नी के वोट बैंक के साथ-साथ सिद्धू की लोकप्रियता को भुनाने के लिए पंजाब में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अपना सीएम चेहरा घोषित नहीं करने का फैसला किया है।
कैप्टन अमरिंदर सिंह को सीएम पद से हटाते समय पार्टी नेताओं को बताया गया कि सिद्धू 2022 के चुनाव के लिए सीएम उम्मीदवार होंगे। लेकिन चन्नी के सत्ता में आने से राजनीतिक समीकरण काफी बदल गए हैं। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “कैप्टन को हटाए जाने पर बड़ी मछली के खिलाफ कार्रवाई करना और ड्रग रिपोर्ट को सार्वजनिक करना प्रमुख मुद्दे थे। हम अब इन मुद्दों पर धीमी गति से नहीं चल सकते।”
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