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राज्य

सबसे पिछड़ा है बिहार, विशेष राज्य का दर्जा दो; राज्यसभा में RJD ने दिया स्थगन प्रस्ताव का नोटिस

बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग पिछले दिनों राज्य के सीएम नीतीश कुमार ने एक बार फिर से उठाई थी। अब यह मांग गुरुवार को संसद में भी गूंजने वाली है। राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज कुमार झा ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए राज्यसभा में स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है। राज्यसभा के चेयरमैन वेंकैया नायडू को दिए नोटिस में सांसद मनोज कुमार झा ने लिखा है, 'आप जानते हैं कि नीति आयोग की ओर से जारी की गई रैंकिंग में बिहार हर मानक पर सबसे पीछे रहा है। यह पूरे देश के लिए सामूहिक चिंता की वजह होना चाहिए।'

 

मनोज झा ने लिखा कि ऐसी स्थिति में मैं आपसे स्थगन प्रस्ताव लाने का अनुरोध करता हूं ताकि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग पर विस्तार से चर्चा की जा सके। बिहार की राजनीति में राज्य को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग एक बार फिर से तेज हो गई है। हाल ही में बिहार की डिप्टी सीएम और भाजपा नेता रेनू देवी ने कहा था कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग में कोई तथ्य नहीं है। इसके बाद सीएम नीतीश कुमार ने जवाब देते हुए कहा कि यदि कोई कहता है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग बहुत जरूरी नहीं है तो इसका मतलब कि उसे मुद्दे की समझ नहीं है। 

 

 

नीति आयोग की रिपोर्ट में निचले पायदान पर आने के बाद फिर तेज हुई मांग

हाल ही में नीति आयोग की एक रिपोर्ट आई है, जिसमें बिहार को मानव विकास सूचकांक और ग्रोथ रेट के मामले में निचले पायदान पर रखा गया है। इस पर नीतीश कुमार का कहना है कि राज्य के पास सीमित संसाधन हैं। ऐसे में उन्होंने एक बार फिर से विशेष राज्य के दर्जे की मांग उठा दी है। प्रतिव्यक्ति आय में भी बिहार काफी पीछे है। देश भर में यह 1,34,432 है, जबकि बिहार में 50,735 ही है। रिपोर्ट के मुताबिक बिहार की आधी से ज्यादा आबादी यानी 51.91 फीसदी लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं। स्कूल ड्रॉपआउट, कुपोषण, मातृत्व पोषण जैसे मानकों में भी बिहार काफी पीछे है।

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