logo

  • 05
    09:07 am
  • 09:07 am
logo Media 24X7 News
news-details
राजनीति

'मेरी तस्वीर और नाम इस्तेमाल न करें', राजनीतिक दलों को नसीहत दे राकेश टिकैत ने बताई अपनी रणनीति

एक साल से ज्यादा वक्त तक गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के साथ डटे रहे राकेश टिकैत अब मुजफ्फरनगर स्थित अपने घर लौट गए हैं। गाजीपुर बॉर्डर से आंदोलनकारी किसानों के आखिरी जत्थे के साथ रवाना हुए राकेश टिकैत मेरठ पहुंचे तो उनका जोरदार स्वागत हुआ। इस दौरान जब उनके राजनीतिक दल के पोस्टर में छपी उनकी तस्वीर को लेकर पूछा गया तो टिकैत ने साफ किया कि वह राजनीति में नहीं कूदेंगे। राकेश टिकैत ने कहा, 'मैं कोई चुनाव लड़ने नहीं जा रहा हूं। किसी पार्टी को मेरे नाम और तस्वीर का भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।' राकेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता हैं। यह संगठन किसान आंदोलन में प्रमुख भागीदार था।

 

28 नवंबर, 2020 से ही गाजीपुर बॉर्डर पर डटे रहे राकेश टिकैत इस साल 26  जनवरी को आंदोलन का चेहरा बन  गए थे। यूपी पुलिस के बड़ी संख्या में गाजीपुर पर डटने के बाद यह चर्चा शुरू हो गई थी कि अब आंदोलन समाप्त कराया जा सकता है। इसी बीच राकेश टिकैत का एक वीडियो सामने आया, जिसमें वह भावुक हो गए और रोते दिखे। इसके बाद आंदोलन की पूरी तस्वीर ही बदल गई और रातोंरात पश्चिमी यूपी, हरियाणा और पंजाब के किसानों के बड़े जत्थे दिल्ली की सीमाओं की ओर रवाना हुए। इससे आंदोलन एक बार फिर से मजबूत हो गया और तीन नए कृषि कानूनों की वापसी के बाद अब जाकर समाप्त हुआ है। 

राकेश टिकैत ने छोड़ दी थी दिल्ली पुलिस की नौकरी 

 

राकेश टिकैत आंदोलन को लेकर काफी मुखर थे और मीडिया में छाए रहे। इसके चलते यह कयास भी लगने लगे थे कि राकेश टिकैत की कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा है और वह चुनावी समर में भी उतर सकते हैं। इसे लेकर अब राकेश टिकैत ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं कि वे राजनीति से दूर ही रहेंगे। राकेश टिकैत दिल्ली पुलिस में हेडड कॉन्सटेबल रहे हैं, लेकिन 1992-93 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी। राकेश टिकैत ने भले ही आज चुनाव में उतरने से इनकार किया हो, लेकिन वह दो बार मैदान में उतर चुके हैं। 2007 में वह मुजफ्फरनगर की खतौली सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर विधानसभा चुनाव में उतरे थे। यहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

दो बार चुनाव लड़ चुके हैं टिकैत, पर नहीं मिली सफलता

इसके बाद वह 2014 के लोकसभा चुनाव में अमरोहा सीट से रालोद के टिकट पर लड़े, लेकिन एक बार फिर से हार ही हाथ लगी। बता दें कि किसान संगठनों ने 15 जनवरी को अब एक समीक्षा बैठक बुलाने का फैसला लिया है, जिसमें वे सरकार की ओर से किए गए वादों पर कितना काम हुआ है, उस पर चर्चा करेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन स्थगित करते हुए यह कहा भी था कि यदि सरकार अपने वादों को पूरा नहीं करती है तो हम एक बार फिर से आंदोलन शुरू कर सकते हैं। 

You can share this post!

Comments

Leave Comments