हाथ में चंद्र पर्वत मन का कारक माना गया है। एकाग्रता और व्यसन का कारक भी चंद्रमा को माना गया है। हाथ में चंद्र पर्वत उभरा हुआ होता है, लेकिन यदि हाथ में चंद्र पर्वत बहुत अधिक स्थिति में उठा हुआ तो इसे शुभ नहीं माना जाता है। सामान्य स्थिति में ही चंद्र पर्वत को शुभ माना गया है जबकि दबा हुआ चंद्र पर्वत अशुभ माना जाता है। यदि चंद्र पर्वत उन्नत है तो मन शांत रहता है। ऐसा व्यक्ति वैचारिक स्तर पर बहुत धनी होता है। वह दार्शनिक होता है। जिन लोगों का चंद्रमा बहुत अधिक अच्छा होता है उन्हें घटनाओं को पूर्वाभ्यास हो जाता है। अच्छे चंद्रमा वाले लोग एकाग्रचित्त होते हैं। अच्छा चंद्रमा माता से भी अच्छे संबंधों का प्रतीक होता है। इस तरह के लोग व्यसनों में नहीं पड़ते।
यदि चंद्रमा अत्यधिक उच्च स्थिति हो तो ऐसे व्यक्ति के मन में अत्यधिक विचार आते हैं। कल्पना शक्ति अत्यधिक बढ़ने से पागलपन की स्थिति बन जाती है। इस तरह के लोगों का मन एकाग्र नहीं रह पाता और विभिन्न तरह के व्यसनों का शिकार हो जाते हैं।
जिंदगी में कभी जिम्मेदारी नहीं ले पाते इस तरह के लोग
चंद्र पर्वत बहुत अधिक दबा हुआ है तो मन काफी विकृत हो जाता है। इस तरह के लोगों मे कल्पनाशक्ति नहीं होती। इस तरह के लेागों को विचार नहीं आते। एकाग्रता नहीं होती है। यदि चंद्र पर्वत मंगल पर्वत की ओर खिसक जाए तो व्यक्ति में चिड़चिड़ापन हो जाता है। यदि चंद्र पर्वत शुक्र पवत की ओर खिसक जाए तो वह अत्यधिक चंचल हो जाता है। ऐसे लोगों में वासना की प्रवृत्ति अधिक हो जाती है। यदि चंद्र पर्वत हथेली के पीछे से अधिक उभरा हुआ तो इस तरह के लोग अपने मन पर नियंत्रण नहीं रख पाते। शुभ स्थिति में चंद्रमा होने पर व्यक्ति को जल संबंधी कार्यों में फायदा मिल जाता है। ऐसे लोग समुद्री यात्राएं करते हैं। अच्छा चंद्रमा सौंदर्य के प्रति प्रेम को बढ़ाता है। अच्छा चंद्रमा होने के साथ ही बुध के भी अच्छा होने से अच्छा लेखक हो जाता है। आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी चंद्रमा का अच्छा होना जरुरी है। जिन लोगों के हाथों में चंद्रमा अच्छा होता है वे अधिकांशत: भगवान शिव के उपासक होते हैं।
(इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं तथा इन्हें अपनाने से अपेक्षित परिणाम मिलेगा। जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)
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