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भारत

'स्किन-टू-स्किन टच बिना रेप नहीं' का फैसला देने वाली जज का डिमोशन, कॉलेजियम ने रोकी स्थायी नियुक्ति की सिफारिश

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति पुष्पा वी गनेडीवाला के नाम की सिफारिश बॉम्बे हाईकोर्ट के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नहीं करने का फैसला किया है। गनेडीवाला वहीं जज हैं, जिनके एक फैसले ने काफी विवाद खड़ा किया था। उन्होंने अपने फैसले में कहा था कि अगर पीड़िता और आरोपी के बीच स्कीन-टू-स्कीन टच नहीं हुआ है तो इसे यौन अपराध नहीं माना जाएगा।

 

जस्टिस गनेडीवाला वर्तमान में बॉम्बे हाईकोर्ट की अतिरिक्त जज हैं। कॉलेजियम के इस फैसले का मतलब है कि उन्हें वापस जिला न्यायपालिका में भेज दिया जाएगा।

हाईकोर्ट में नियुक्तियों का निर्णय लेने वाले कॉलेजियम में भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और डी वाई चंद्रचूड़ शामिल हैं। हाईकोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीशों की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 224(1) के तहत सीधे बार या राज्य न्यायपालिका से दो साल से अधिक की अवधि के लिए नहीं की जाती है। इनकी सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष है। 

जस्टिस गनेडीवाला का परिचय
1969 में महाराष्ट्र के अमरावती जिले के परतवाड़ा में जन्मे जस्टिस गनेडीवाला को 2007 में जिला जज नियुक्त किया गया था। 2019 में, उन्हें नागपुर में बॉम्बे हाईकोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की मंजूरी 2018 में नके फैसले को टालने के बाद आई थी।

 

HC के जजों की असहमति के बावजूद हुई थी नियुक्ति
उनके नाम की पहली बार नवंबर 2017 में हाईकोर्ट ने सिफारिश की थी और सितंबर 2018 में राज्य के पांच अन्य न्यायिक अधिकारियों के साथ सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के सामने आया था। तत्कालीन सीजेआई दीपक मिश्रा, जस्टिस रंजन गोगोई और मदन लोकुर के कॉलेजियम ने उनकी उम्मीदवारी को टाल दिया। कॉलेजियम को तब बॉम्बे हाई कोर्ट के जजों से असहमति के दो मजबूत नोट मिले, जिनसे नियुक्ति पर सलाह ली गई थी। इसके बावजूद, उन्हें 2019 में तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस ए के सीकरी और एस ए बोबडे के एक कॉलेजियम द्वारा नियुक्त किया गया था।

यौन उत्पीड़न केस में सुनाया था विवादित फैसला
न्यायमूर्ति गनेडीवाला ने एक फैसला सुनाया था। उनके मुताबिक, यदि आरोपी और पीड़ित के बीच "कोई सीधा शारीरिक संपर्क, यानी स्कीन टू स्कीन टच" नहीं हुआ है तो POCSO अधिनियम की धारा 7 के तहत यौन उत्पीड़न के अपराध की श्रेणी में नहीं आएगा। हालांकि, नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच के इन फैसलों को खारिज कर दिया था। 

 

बॉम्बे HC कॉलेजियम ने की थी 5 जजों के नाम की सिफारिश
बॉम्बे हाईकोर्ट कॉलेजियम ने जुलाई में स्थायी न्यायाधीश नियुक्त करने के लिए पांच अतिरिक्त न्यायाधीशों के नामों की सिफारिश की थी। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के गुरुवार को एक बयान के अनुसार, तीन न्यायाधीशों (न्यायमूर्ति माधव जयजीराव जामदार, अमित बी बोरकर और एस दत्तात्रेय कुलकर्णी) की स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए सिफारिश की गई है और न्यायमूर्ति अभय आहूजा का कार्यकाल एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया है।

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