1932 में भारतीय टीम ने अपना पहला टेस्ट मैच खेला था और 1933 में भारत में पहला टेस्ट मैच खेला गया था। भारत ने अपना पहला टेस्ट मैच 25 जून 1932 को लॉर्ड्स के मैदान पर खेला था, जबकि भारत में पहला टेस्ट मैच 1933 में 15 दिसंबर से खेला गया था। मैच मुंबई (तब बॉम्बे) के जिमखाना स्टेडियम में खेला गया था और इस मैच में भारत की ओर से पहला टेस्ट शतक लाला अमरनाथ के बल्ले से निकला था। भारत की ओर से डेब्यू मैच खेल रहे अमरनाथ ने दूसरी पारी में इंग्लैंड के गेंदबाजों को काफी परेशान किया था। मैच के तीसरे दिन यानी कि 17 दिसंबर को अमरनाथ के बल्ले से शतक निकला था। उन्होंने 185 गेंदों पर 21 चौकों की मदद से 118 रनों की पारी खेली थी। अमरनाथ की इस पारी का भारतीय क्रिकेट पर भी गहरा प्रभाव पड़ा और आजतक इस पारी को याद किया जाता है। अमरनाथ जब आउट होकर मैदान से लौट रहे थे, तब स्टेडियम में मौजूद कुछ महिलाओं ने उनकी तरफ जेवर भी फेंके थे।
भारत के कप्तान उस समय सीके नायुडू थे, जिन्होंने टॉस जीतने के बाद पहले बल्लेबाजी का फैसला लिया था। पहली पारी में भारतीय टीम महज 219 रनों पर सिमट गई थी। पहली पारी में भी भारत की ओर से बेस्ट स्कोरर लाला अमरनाथ ही थे, जिन्होंने 38 रन बनाए थे। जवाब में इंग्लैंड ने 438 रन बना डाले। ब्रायन वैलेन्टाइन ने 136 रनों की पारी खेली थी। भारत ने जवाब में 21 रनों तक दो विकेट गंवा दिए थे। दोनों सलामी बल्लेबाज पवेलियन लौट चुके थे, लेकिन कप्तान नायुडू के साथ मिलकर अमरनाथ ने पारी को संभाला।
दोनों ने 186 रनों की साझेदारी निभाई। नायुडू 67 रन बनाकर आउट हुए। इन दोनों के अलावा विजय मर्चेन्ट ने 30 रनों की पारी खेली थी। लाला अमरनाथ की सेंचुरी के दम पर भारत इस मैच में पारी की हार से बच गया। भारत दूसरी पारी में 258 रनों पर ऑलआउट हुआ और इंग्लैंड को जीत के लिए 40 रनों का लक्ष्य मिला। इंग्लैंड ने एक विकेट गंवाकर लक्ष्य हासिल कर लिया और मैच नौ विकेट से अपने नाम कर लिया। लाला अमरनाथ के टेस्ट करियर का यह इकलौता शतक था। उन्होंने भारत के लिए 24 टेस्ट मैच खेले और इस दौरान 24.38 की औसत से 878 रन बनाए।
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