पीएम नरेंद्र मोदी से अपनी टीम के साथ दिल्ली आकर मुलाकात करने पर महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा है कि उनके रिश्ते टूटे नहीं हैं। पीएम नरेंद्र मोदी से रिश्तों और मुलाकात को लेकर पूछे गए सवाल को लेकर उद्धव ठाकरे ने बेबाकी से जवाब दिया है। उद्धव ठाकरे ने कहा, 'भले ही राजनीतिक रूप से साथ नहीं हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हमारा रिश्ता खत्म हो गया है। मैं कोई नवाज शरीफ से मिलने नहीं गया था। इसलिए यदि मैं उनसे व्यक्तिगत मुलाकात करता हूं तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है।'
इससे पहले मंगलवार दोपहर महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने पीएम नरेंद्र मोदी से उनके आवास पर मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने मराठा कोटे पर सुप्रीम कोर्ट की रोक हटाने के लिए केंद्र सरकार के दखल की मांग की। इसके अलावा ओबीसी आरक्षण, जातिगत जनगणना और मराठी को क्लासिकल भाषा का दर्जा दिए जाने की भी मांग की गई। इस दौरान सीएम उद्धव ठाकरे के साथ डिप्टी सीएम अजित पवार, कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस लीडर अशोक चव्हाण भी मौजूद थे। इस मीटिंग के दौरान महाराष्ट्र के नेताओं ने पीएम नरेंद्र मोदी के सामने जीएसटी क्षतिपूर्ति का मुद्दा भी रखा।
पीएम मोदी से मुलाकात के बाद मीडिया से बात करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा, 'हमने प्रधानमंत्री से कई मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने हमें भरोसा दिलाया है। इसके अलावा हमने कार शेड के लिए कंजूर मार्ग प्लॉट को ट्रांसफर किए जाने की भी गुजारिश की है।' वहीं कांग्रेस लीडर अशोक चव्हाण ने कहा कि हमने पीएम मोदी से आरक्षण की 50 फीसदी तय सीमा को खत्म करने के लिए दखल की अपील की है। हमने पीएम से आग्रह किया है कि केंद्र सरकार को इसे लेकर कोर्ट में जाना चाहिए। 50 फीसदी तय सीमा के चलते कई तरह के आरक्षण प्रभावित होते हैं। इनमें से ही एक है, चुनावों में ओबीसी आरक्षण।
कांग्रेस नेता ने कहा कि केंद्र सरकार के पास ताकत है कि वह ओबीसी आरक्षण को लेकर फैसला ले सके। हमें उम्मीद है कि केंद्र की ओर से इस पर फैसला लिया जाएगा। वहीं डिप्टी सीएम अजित पवार ने कहा कि हमने पीएम नरेंद्र मोदी से जातिगत जनगणना कराने की मांग की है। इसके अलावा महाराष्ट्र सरकार की ओर से राज्य के जीएसटी क्षतिपूर्ति के 24,306 करोड़ रुपये भी जारी करने की मांग की गई है। आज सुबह ही उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र से अपने सहयोगियों के साथ दिल्ली रवाना हुए थे। इससे पहले भी उद्धव ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अपील की थी कि केंद्र सरकार को मराठा आरक्षण बहाल करने के लिए दखल देना चाहिए।
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