पेगासस स्पाईवेयर के जरिए कथित जासूसी के मामले में गठित टेक्निकल कमिटी ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंप दी है। सीजेआई एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच 23 फरवरी को इस मामले में लंबित याचिकाओं और रिपोर्ट का अध्ययन करेगी। 27 अक्टूबर 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में तीन सदस्यों कि एक कमिटी बनाई थी जिसमें गांधीनगर यूनिवर्सिटी के फरेंसिग साइंसेज के डीन डॉ. नवीन कुमार चौधरी, केरल के अमृता विश्व विद्यापीठम के प्रोफेसर डॉ प्रभाकरण पी औऱ आईटी बॉम्बे के डॉ. अश्विन अनिल गुमास्ते शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस आरवी रवींद्रन को निगरानी के लिए नियुक्त किया गया है। इसके अलावा इसमें दो एक्सपर्ट पूर्व आईपीएस आलोक जशी और डॉ. संदीप ओबेरॉय भी शामिल हैं।
CJI एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत एवं न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने 12 जनहित याचिकाओं को 23 फरवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। इनमें ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’, पत्रकारों-एन राम और शशि कुमार की याचिकाएं भी शामिल हैं। इस दौरान उस रिपोर्ट की समीक्षा भी की जा सकती है, जिसे शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त पैनल को दाखिल करने को कहा गया था।
न्यायालय ने भारत में राजनीतिक नेताओं, अदालती कर्मियों, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित विभिन्न लोगों की जासूसी के लिए इजराइली स्पाईवेयर पेगासस के इस्तेमाल के आरोपों की जांच के लिए साइबर विशेषज्ञ, डिजिटल फॉरेंसिक, नेटवर्क एवं हार्डवेयर के विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय समिति नियुक्त की थी और जांच की निगरानी की जिम्मेदारी शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर. वी. रवींद्रन को सौंपी थी।
इस मामले में जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में 12 याचिकाएं दाखिल की गई हैं। इस स्पाईवेयर को इजरायल की कंपनी एनएसओ ने बनाया था। केंद्र लगातार जासूसी के आरोपों को खारिज करता रहा है। केंद्र का कहना है कि मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है इसलिए वह सारी डीटेल सार्वजनिक नहीं करना चाहता है। केंद्र ने कहा था कि उसे कमिटी बनाने का अधिकार दिया जाए । हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह न्यायिक प्रणाली के विरुद्ध होगा।
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