logo

  • 21
    10:40 pm
  • 10:40 pm
logo Media 24X7 News
news-details
भारत

हमसे दोस्ती करोगे! तालिबान ने राज जमाते ही भारत को भेजा था संदेश- बंद न करो दूतावास, हमसे कोई खतरा नहीं

अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा हो गया है और इसके साथ ही ज्यादातर देशों ने अपने दूतावासों को बंद कर राजनयिकों को वापस बुला लिया है। अफगानिस्तान में तालिबान के खतरे को देखते हुए भारत ने भी अपने दूतावास बंद कर दिए हैं। मगर ताजा घटनाक्रम से पता चलता है कि अफगानिस्तान पर कब्जा जमाते ही तालिबान ने भारत से संपर्क साधा था और राजनयिक संबंध बनाए रखने की चाहत जाहिर की थी। जब एक ओर भारत अपने अधिकारियों को काबुल से निकालने की कवायद में जुटा था, तभी तालिबान के वरिष्ठ नेता शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई एक आश्चर्यजनक अनुरोध के साथ भारतीय पक्ष के पास पहुंचे थे-क्या भारत अफगानिस्तान में अपनी राजनयिक उपस्थिति बनाए रखना चाहेगा?

 

हमारी सहयोगी वेबसाइट हिन्दुस्तान टाइम्स के मुताबिक, अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने के बाद तालिबान ने अनुरोध किया था कि भारत काबुल में अपनी राजनयिक मौजूदगी को जारी रखे और दूतावास बंद न करे। हालांकि, इस बारे में भारतीय पक्ष द्वारा कोई बयान नहीं आया है। दरअसल, बीते सोमवार और मंगलवार को भारत द्वारा सैन्य विमानों से अफगानिस्तान से अपने करीब 200 लोगों को निकालने से ठीक पहले तालिबान ने अनौपचारिक तौर पर भारत को इस अनुरोध से अवगत कराया था। बता दें कि शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई कतर की राजधानी दोहा में तालिबान के राजनीतिक मोर्चा वाले नेतृत्व के अहम सदस्य हैं।

नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा कि तालिबान की ओर से बातचीत करने वाली टीम में नंबर दो के रूप में और कतर में स्थित तालिबानी नेताओं में तीसरे नंबर के रूप में देखे जाने वाले शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई अतीत में अफगानिस्तान में भारत की भूमिका के आलोचक रहे हैं। जब उन्होंने राजनयिक संबध बनाए रखने की बात कही तो इस संदेश ने नई दिल्ली और काबुल में भारतीय अधिकारियों को चौंका दिया। अधिकारी ने कहा कि अफगान में तालिबान के कब्जे के बाद जब भारत अपने अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों को वहां से निकालने की तैयारी में था, तब स्टेनकजई ने अनौपचारिक रूप से यह संदेश भिजवाया था कि भारत को तालिबान से कोई खतरा नहीं है। उन्होंने संदेश में भारतीय पक्ष को बताया कि तालिबान काबुल में सुरक्षा स्थिति को लेकर भारतीय चिंताओं से अवगत है और भारतीय पक्ष को काबुल में अपने मिशन और राजनयिकों की सुरक्षा के बारे में चिंता नहीं करनी चाहिए।  

 

 

 

खासकर स्टेनकजई ने उन रिपोर्टों का भी उल्लेख किया, जिनमें कहा गया था कि पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और लश्कर-ए-झांगवी (एलईजे) के आतंकी काबुल में हैं और हवाई अड्डे के मार्ग पर तालिबान द्वारा स्थापित चेक पोस्ट पर तैनात थे। इस पर उन्होंने कहा कि हवाईअड्डे सहित सभी चेक पोस्ट तालिबान के हाथों में मजबूती से थे और किसी पाक आतंकी का कहीं कोई कंट्रोल नहीं था। हालांकि, इसके तुरंत बाद भारतीय पक्ष और उसके अफगान समकक्षों द्वारा किए गए एक त्वरित मूल्यांकन से यह निष्कर्ष निकला कि अतीत को देखते हुए तालिबान की ओर से अनुरोध पर विश्वास नहीं किया जा सकता और भारतीय राजनयिकों और अन्य को निकालने की योजना के अनुसार आगे बढ़ना चाहिए। 

जैसा कि मंगलवार को हिंदुस्तान टाइम्स ने बताया था कि भारतीय पक्ष को ऐसी खुफिया रिपोर्ट मिली थी कि कुछ आतंकी, मसलन लश्कर और हक्कानी नेटवर्क के सदस्य तालिबान लड़ाकों के साथ काबुल में प्रवेश कर गए हैं और उन्होंने रविवार को अफगान की राजधानी पर कब्जा कर लिया है। इसके तुरंत बाद भारत ने अपने राजनयिकों को विशेष सैन्य विमान से सोमवार-मंगलवार को वापस बुलाया। 

 

 

घटनाक्रम से परिचित लोगों ने कहा कि आतंकियों से संबंधित रिपोर्ट मिलने के बाद काबुल में राजनयिकों और अन्य अधिकारियों की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता था क्योंकि क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट निर्देश दिया था कि भारतीयों की सुरक्षा और वापसी सबसे महत्वपूर्ण है। गौरतलब है कि काबुल पर कब्जा जमाने के बाद तालिबान ने कहा था कि उससे दुनिया के किसी देश को डरने की जरूरत नहीं है और वह किसी राजनयिक को नुकसान नहीं पहुंचाएगा। 

You can share this post!

Comments

Leave Comments