पश्चिम बंगाल के चुनाव में भले ही बीजेपी को उम्मीदों के मुताबिक सफलता नहीं मिली है, लेकिन सबसे बड़ा झटका कांग्रेस को लगा है। 2016 में 44 सीटों पर जीत हासिल करने वाली कांग्रेस इस बार शून्य पर ही रह गई। कांग्रेस की इस दुर्गति को लेकर पार्टी लीडर अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि मुस्लिम वोट टीएमसी के खाते में चले गए। इसके अलावा लेफ्ट ने भी अपना वोट टीएमसी को ट्रांसफर कराया है। इसके चलते ही कांग्रेस इतना पिछड़ गई। अधीर रंजन चौधरी ने कहा, 'टीएमसी सत्ता को बचाना चाहती थी, जबकि बीजेपी पावर हासिल करना चाहती थी। हमारे लिए ऐसा कुछ दांव पर नहीं था। हम अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहे थे।'
बीजेपी पर पोलराइजेशन का आरोप लगाते हुए अधीर रंजन ने कहा कि उसने इसमें कोई कसर नहीं छोड़ी थी, लेकिन फेल साबित हुई। उन्होंने कहा कि मुर्शिदाबाद और मालदा जैसे इलाकों में मुस्लिम वोट बैंक का ध्रुवीकरण हुआ है। चौधरी ने कहा कि सीतालकुची में केंद्रीय बलों की फायरिंग में 4 युवकों की मौत हुई थी और सभी मुस्लिम थे। इसके बाद से ही ध्रुवीकरण तेज हुआ। चौधरी ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि टीएमसी ने इस स्थिति का फायदा उठाया और अपने वोटों का ध्रुवीकरण किया। कांग्रेस नेता ने कहा कि ममता बनर्जी पर महिलाओं ने भरोसा जताया है, जबकि मुस्लिमों ने भी उनका विश्वास किया।
लेफ्ट वोटों के टीएमसी की तरफ ट्रांसफर होने के सवाल पर चौधरी ने कहा कि निश्चित तौर पर वोटों का एक हिस्सा ट्रांसफर हुआ है। यही नहीं उन्होंने कहा कि कांग्रेस का वोट भी काफी हद तक टीएमसी को चला गया। अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि कांग्रेस को मुख्य तौर पर मुस्लिम वोट मिलता है और वह टीएमसी को ट्रांसफर हो गया। इसके चलते ही यह स्थिति पैदा हो गई। चौधरी ने कहा कि मुस्लिम वोट टीएमसी के खाते में चला गया और हिंदू वोट बीजेपी के खाते में चला गया। हमारे लिए कुछ भी नहीं बचा था। बता दें कि लेफ्ट और इंडियन सेक्युलर फ्रंट के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने के बाद भी राज्य में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली है।
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