कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया एक और हथियार का निर्माण करने वाला है। कोविशील्ड वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने देश में कोविड-19 टीके स्पूतनिक-वी के उत्पादन की अनुमति मांगने के लिए भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) को आवेदन दिया है। सूत्रों ने यह जानकारी दी है।
सूत्रों ने कहा कि पुणे स्थित कंपनी ने जांच विश्लेषण और परीक्षण के लिए भी मंजूरी मांगी है। इस समय डॉ. रेड्डीज लैबोरेट्रीज भारत में रूस के स्पूतनिक वी टीके का उत्पादन कर रही है। अगर इसकी मंजूरी मिल जाती है तो देश में वैक्सीन के प्रोडक्शन में और तेजी आएगी। फिलहाल, स्पूतनि-वी की 30 लाख खुराक की खेप मंगलवार को हैदराबाद पहुंची थी।
एक सूत्र ने बताया, 'सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) को बुधवार को एक आवेदन दिया, जिसमें कोविड-19 टीके स्पूतनिक वी के भारत में निर्माण की अनुमति मांगी गई है।' बता दें कि देश में फिलहाल, कोविशील्ड, कोवैक्सीन और स्पूतनिक-वी से टीकाकरण कार्यक्रम चल रहा है।
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया पहले ही सरकार को बता चुका है कि वह जून में 10 करोड़ कोविशील्ड वैक्सीन की खुराकों का उत्पादन और आपूर्ति करेगा। वह नोवावैक्स टीका भी बना रहा है। नोवावैक्स के लिए अमेरिका से नियामक संबंधी मंजूरी अभी नहीं मिली है। डीसीजीआई ने अप्रैल में इसके आपात इस्तेमाल को मंजूरी दे दी थी।
इससे पहले सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने अपने टीके से जुड़ी प्रतिकूल घटनाओं के मामले में किसी भी क्षतिपूर्ति या मुआवजे के दावों से कानूनी सुरक्षा मांगी है।यह खबर ऐसे समय में आई है जब इस तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं कि भारत सरकार फाइज़र और मॉडर्ना जैसी विदेशी कंपनियों को इस तरह का संरक्षण दे सकती है। दरअसल, भारत में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार ने कई विदेशी वैक्सीन निर्माता कंपनियों के साथ करार किया है। हालांकि, एक कानूनी मसले को लेकर पेच फंसा हुआ सा लग रहा था। अमेरिकी कंपनी फाइज़र और मॉडर्ना ने भारत सरकार से मांग की थी कि वह उनकी कोविड-19 वैक्सीन के इस्तेमाल से जुड़े किसी भी दावे से उसे कानूनी सुरक्षा दे। खबरों के मुताबिक, भारत सरकार भी इसपर तैयार हो गई थी। अब सीरम इंस्टिट्यूट ने भी अपने टीके को लेकर इसी तरह की सुरक्षा की मांग की है
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