हिन्दू व्रत-त्योहारों में संतान सप्तमी को एक जरूरी व्रत माना जाता है. इसे हर मां नए संतान प्राप्ति के लिए,उसकी तरक्की और उसकी लंबी उम्र के लिए करती हैं. इस व्रत को हर वर्ष भाद्रपद (Bhadrapad) महीने की शुक्लपक्ष (Shukla Paksha) के सप्तमी (Saptami) तिथि के दिन किया जाता है. कई लोग इसे मुक्ताभरण व्रत (Muktabharan Vrat) और ललिता सप्तमी व्रत (Lalita Saptami Vrat) के नाम से भी जानते हैं. संतान सप्तमी के दिन भगवान सूर्य और शंकर-पार्वती की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन का व्रत करने से संतान की प्राप्ति होती है, संतान दीर्धायु होती हैं और उनके सभी दुखों का नाश होता है. आइए जानते हैं कि इस साल इस व्रत को करने का सही मूहूर्त क्या है.
हर वर्ष भाद्रपद महीने की शुक्लपक्ष के सप्तमी तिथि संतान सप्तमी का व्रत किया जाता है.संतान की सुख-समृद्धि के लिए इस व्रत को सबसे उत्तम माना जाता है. इस साल संतान सप्तमी से महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Vrat) की भी शुरूआत हो रही हैं. माना जाता है कि आर्थिक तंगी (Financial Problem) से छुटकारा पाने के लिए महालक्ष्मी व्रत बहुत लाभदायक होता है.
हिन्दू पंचांग (Hindu Panchang) के अनुसार इस साल के भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 21 सितंबर 2023 को दोपहर 2:14 बजे शुरू होकर 22 सितंबर 2023 को दोपहर 1:35 बजे खत्म होगी. इसी बीच महिलाएं व्रत रखेंगी और भगवान शिव के साथ माता गौरी का ध्यान करके व्रत करेंगी.
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