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NeoCov वायरस इंसानों के लिए कितना ख़तरनाक, WHO ने क्या कहा

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने NeoCov (नियोकोव) कोरोना वायरस को लेकर शुक्रवार को कहा कि इस वायरस पर और अध्ययन किए जाने की ज़रूरत है.

चीन के शोधकर्ताओं को दक्षिण अफ़्रीका के चमगादड़ों में एक नए कोरोना वायरस 'नियोकोव' का पता चला था. फिलहाल ये वायरस केवल जानवरों के बीच तेज़ी से फैल रहा है.

एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने कहा है कि ये वायरस भविष्य में इंसानों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.

कोरोना वायरस अलग-अलग तरह के वायरस के समूह का हिस्सा होते हैं जो सामान्य ज़ुकाम से लेकर गंभीर श्वास संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि उसके पास इस संबंध में जानकारी है लेकिन ये पता करने के लिए और अध्ययन की ज़रूरत है कि ये वायरस इंसानों के लिए खतरनाक है या नहीं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने NeoCov (नियोकोव) कोरोना वायरस को लेकर शुक्रवार को कहा कि इस वायरस पर और अध्ययन किए जाने की ज़रूरत है.

चीन के शोधकर्ताओं को दक्षिण अफ़्रीका के चमगादड़ों में एक नए कोरोना वायरस 'नियोकोव' का पता चला था. फिलहाल ये वायरस केवल जानवरों के बीच तेज़ी से फैल रहा है.

एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने कहा है कि ये वायरस भविष्य में इंसानों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.

कोरोना वायरस अलग-अलग तरह के वायरस के समूह का हिस्सा होते हैं जो सामान्य ज़ुकाम से लेकर गंभीर श्वास संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि उसके पास इस संबंध में जानकारी है लेकिन ये पता करने के लिए और अध्ययन की ज़रूरत है कि ये वायरस इंसानों के लिए खतरनाक है या नहीं.

सिर्फ़ एक म्यूटेशन बनाएगा ख़तरनाक

अध्ययन के मुताबिक नियोकोव कोविड-19 वायरस की तरह ही मानवीय कोशिकाओं से जुड़ सकता है. ''नियोकोव में सिर्फ़ एक और म्यूटेशन के बाद वो इंसानों के लिए ख़तरनाक बन सकता है.'' हालांकि, इस अध्ययन की अभी समीक्षा की जानी है.

शोधकर्ताओं के मुताबिक़, ये वायरस मिडिल ईस्ट रेसपाइरेट्री सिंड्रोम (एमईआरएस-मर्स) से मेल खाता है. ये वायरल बीमारी सबसे पहले सऊदी अरब में पाई गई थी.

मर्स-कोव वायरस की मृत्यु दर बहुत अधिक है. इसमें हर तीन संक्रमित व्यक्ति में से एक की मौत हो जाती है. मौजूदा सार्स-कोव-2 वायरस संक्रामक अधिक है.

मर्स-कोव वायरस लक्षणों के मामले में सार्स-कोव-2 के जैसा ही है. इसमें भी बुखार, खांसी और सांस लेने में परेशानी होती है. ये बीमारी साल 2012 में सबसे पहले सऊदी अरब में पाई गई थी. 2012 से 2015 के बीच मध्य-पूर्वी देशों में इसका प्रकोप रहा था.

मर्स-कोव के अधिकतर मामलों में ये इंसान से इंसान में फैला था. इसके चलते कई लोगों की जान भी चली गई थी.

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वैक्सीन का असर

शोधकर्ताओं का ये भी कहना है कि सार्स-कोविड-2 और मर्स-कोविड की वैक्सीन से मिली इम्यूनिटी नियोकोव पर असरदार नहीं हो सकती.

शोधकर्ताओं के मुताबिक, ''सार्स-कोविड-2 में बहुत अधिक म्यूटेशन को देखते हुए, खासतौर से बहुत अधिक म्यूटेशन वाला ओमिक्रॉन वेरिएंट, ये वायरस एंटीबॉडी से अनुकूलन के ज़रिए इंसानों को संक्रमित करने की क्षमता रखते हैं.''

पूरी दुनिया में इस समय कोविड-19 वायरस का संक्रमण फैला हुआ है. इसकी शुरुआत साल 2019 से हुई थी. ये वायरस सबसे पहले चीन में पाया गया था. अब तक करोड़ों लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं और लाखों की संख्या में मौतें हो चुकी हैं.

कोविड-19 से लड़ने के लिए तेज़ी से लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही हैं जिनसे मिली एंटीबॉडी से इस वायरस के असर को कम किया जा सकता है.

 

 

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