नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Phulera Dooj: हिंदू पंचांग के हिसाब से हर साल फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फूलैरा दूज मनाया जाता है। यह दिन किसी भी क्षेत्र से जुड़े कार्य के लिए बहुत ही शुभ होता है। ये त्योहार इस बार 4 मार्च को मनाया जा रहा है। माना जाता है कि फाल्गुन की शुक्ल पक्ष की द्वितीया वाले दिन ही भगवान कृष्ण राधा और गोपियों को मनाने गए थे और उनके साथ फूलों की होली खेली थी। इसी मान्यता के हिसाब से मंदिरों में फूलेरा दूज वाले दिन ना केवल पूजा होती है बल्कि फूलों की होली खेलने का भी रिवाज है।
वसंत पंचमी और होली के बीच मनाते हैं फुलैरा दूज
फुलैरा दूज वसंत पंचमी और होली के बीच मनाया जाता है। ब्रज में तो इस त्योहार की अलग ही धूम देखने को मिलती है। यह दिन बहुत ही मंगलकारी माना जाता है। उत्तर भारत में तो ज्यादातर शादियां फुलैरा दूज के दिन होती हैं। इसके अलावा मकान, संपत्ती, गाड़ी की खरीददारी और किसी व्यवसाय की शुरुआत भी लोग इस दिन से करते हैं क्योंकि यह दिन पूरी तरह से दोषमुक्त होता है।
फुलैरा दूज की तिथि एवं मुहूर्त
शुक्रवार, 4 मार्च को शुभ नामक योग बन रहा है जो रात में 1 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। इसके बाद रात 1.52 मिनट से अलग दिन प्रातः 6.42 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग भी बन रहा है। मतलब ये दोनों ही समय शुभ कार्यों के समापन के लिए अति उत्तम हैं।
फाल्गुन शुक्ल द्वितीया तिथि की शुरुआत 3 मार्च 2022 को रात्रि 9.36 मिनट से हो रही है और इसका समापन शुक्रवार 4 मार्च 2022 को 8.45 मिनट पर होगा।
कृष्ण भक्तों के लिए यह दिन बहुत ही खास होता है इस वजह से ब्रजवासियों में इसका अलग ही उत्साह देखने को मिलता है। फूलैरा दूज का दिन कृष्ण से अपना प्रेम जाहिर करने का दिन है। इस मौके पर राधा-कृष्ण को गुलाल लगाया जाता है। कई तरह के भोग इस मौके पर बनाए जाते हैं और भजन, कीर्तन का आयोजन किया जाता है।
फुलैरा दूज का महत्व
फुलैरा दूज के दिन राधा-कृष्ण की पूजा से आपसी प्रेम और सौहार्द तो बढ़ता ही है साथ ही वैवाहिक जीवन में चल रही समस्याएं भी दूर होती हैं। यों कहें आपसी संबंधों को मजबूत बनाने के लिए ये दिन बहुत ही खास होता है।
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