भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) साल 2022 में एक ऐसा सैटेलाइट लॉन्च करने जा रहा है, जो पूरी दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाएगा. यानी आपदा आने से काफी पहले सूचना दे देगा. ये दुनिया का सबसे महंगा अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट होगा. इसका नाम है निसार (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar - NISAR). इसकी संभावित लागत करीब 10 हजार करोड़ रुपए आएगी. (फोटोः ISRO/NASA)
इस सैटेलाइट के लॉन्च होने के बाद बवंडर, ज्वालामुखी, धरती की परत, भूकंप, ग्लेशियरों का पिघलना, समुद्री तूफान, जंगल में आग, समुद्री जलस्तर में कमी या ज्यादा होना, मॉनसून यानी आप जिस तरह की आपदाओं की कल्पना कर सकते हैं, उन सभी की जानकारी ये पहले देगा. इसके साथ ही यह अंतरिक्ष में जमा हो रहे कचरे और अंतरिक्ष से धरती की ओर आने वाले खतरों की सूचना भी समय-समय पर देता रहेगा. (फोटोः ISRO/NASA)
इसरो और नासा ने मिलकर स्पेस सिचुएशनल अवेयरनेस (Space Situational Awareness) नाम का एक प्रोजेक्ट चला रहे हैं. इसके तहत ही निसार (NISAR) की लॉन्चिंग की जाएगी. इसमें दो प्रकार के बैंड होंगे एल और एस. ये दोनों धरती पर पेड़-पौधों की घटती-बढ़ती संख्या पर नजर रखेंगे साथ ही प्रकाश की कमी और ज्यादा होने के असर का अध्ययन करेंगे. (फोटोः ISRO/NASA)
इसका रडार इतना ताकतवर होगा कि यह 240 किलोमीटर तक के क्षेत्रफल की साफ तस्वीरें ले सकेगा. यह धरती के एक स्थान की फोटो 12 दिन के बाद फिर लेगा. क्योंकि इसे धरती का पूरा एक चक्कर लगाने में 12 दिन लगेंगे. इस दौरान यह धरती के अलग-अलग हिस्सों की रैपिड सैंपलिंग करते हुए तस्वीरें और आंकडे वैज्ञानिकों को मुहैया कराता रहेगा. (फोटोः ISRO/NASA)
ऐसा माना जा रहा है कि लॉन्चिंग के बाद यह सैटेलाइट कम से कम 5 साल तक काम करता रहेगा. इस दौरान इस निसार (NISAR) के जरिए ज्वालामुखी, भूकंप, भूस्खलन, जंगल, खेती, गीली धरती, पर्माफ्रॉस्ट, बर्फ का कम ज्यादा होना आदि विषयों का अध्ययन किया जाएगा. साथ ही ऐसी प्राकृतिक आपदाओं से लोगों को बचाने में मदद मिलेगी. (फोटोः ISRO/NASA)
इस सैटेलाइट को बनाने में इसरो के अहमदाबाद स्थित स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के पांच बड़े साइंटिस्ट मदद कर रहे हैं. साथ ही भविष्य में होने वाली स्टडीज में भी ये मदद करेंगे. ये हैं तपन मिश्रा, मनब चक्रबर्ती, राजकुमार, अनूप दास और संदीप ओझा. ये लोग धरती के अलग-अलग हिस्सों में हो रहे प्राकृतिक बदलावों के अध्ययन में नासा की मदद करेंगे. (फोटोः ISRO/NASA)
इस सैटेलाइट को किस रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा और किस स्थान से किया जाएगा. इसका खुलासा अभी तक नहीं हुआ है. लेकिन ये माना जा रहा है कि इसकी लॉन्चिंग भारत के जीएसएलवी-मार्क2 रॉकेट से किया जाएगा. यह भारत का वजनी सैटेलाइट ढोने वाला रॉकेट है. (फोटोः ISRO/NASA)
निसार (NISAR) सैटेलाइट में एक बड़ा मेन बस होगा, जिसमें कई इंस्ट्रूमेंट्स लगे होंगे. साथ ही कई ट्रांसपोंडर्स, टेलीस्कोप और रडार सिस्टम होगा. इसके अलावा इसमें से एक आर्म निकलेगा, जिसके ऊपर एक सिलेंडर होगा. यह सिलेंडर लॉन्च होने के कुछ घंटों बाद खुलेगा तो इसमें डिश एंटीना जैसी एक बड़ी छतरी निकलेगी. यह छतरी ही सिंथेटिक अपर्चर रडार है. यही धरती पर होने वाली प्राकृतिक गतिविधियों की इमेजिंग करेगी. (फोटोः ISRO/NASA)
एक बार निसार (NISAR) सैटेलाइट लॉन्च हो जाता है तो पूरी दुनिया इसरो और नासा पर निसार हो जाएगी. क्योंकि यह पूरी दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाएगी. इस सैटेलाइट की लॉन्चिंग को लेकर भारतीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस जयशंकर, अमेरिकी सेक्रेटरी ऑफ स्टेट्स माइकल आर. पोम्पियो और डिफेंस सेक्रेटरी मार्क टी. एस्पर के बीच समझौता हुआ है.
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