logo

  • 19
    10:22 pm
  • 10:22 pm
logo Media 24X7 News
news-details
भारत

One Rank One Pension: वन रैंक वन पेंशन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा सरकार का फैसला, जानें क्या है मामला

नई दिल्ली, जेएनएन। वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) मामले में केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार का फैसला बरकरार रखा है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि उसे ओआरओपी के सिद्धांतों और 7 नवंबर 2015 को जारी अधिसूचना में कोई संवैधानिक दोष नहीं लगता है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस मामले फैसला सुनाया है। इस पीठ में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ भी शामिल थे।

बता दें कि भारतीय पूर्व सैनिक आंदोलन (इंडियन एक्स सर्विसमैन मूवमेंट) की ओर से ओआरओपी (One Rank One Pension) नीति के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया है कि ओआरओपी का क्रियान्वयन दोषपूर्ण है।

कोर्ट की टिप्पणी- गुलाबी तस्वीर पेश की गई

बीते महीने याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी भारतीय पूर्व सैनिक आंदोलन की ओर से पेश हुए थे। पीठ ने कहा था कि जो भी फैसला लिया जाएगा वह वैचारिक आधार पर होगा न कि आंकड़ों पर। पीठ ने अपनी टिप्पणी करते हुए कहा था कि योजना में जो गुलाबी तस्वीर पेश की गई थी, वास्तविकता उससे अलग है। कोर्ट ने कहा था, 'वन रैंक वन पेंशन नीति का केंद्र सरकार द्वारा बढ़ा-चढ़ाकर बखान किया गया। कोर्ट ने कहा था कि सशस्त्र बलों के पेंशनभोगियों को वास्तव में दिए गए लाभ की तुलना में कहीं अधिक 'गुलाबी तस्वीर' पेश की गई है।

अदालत ने ये भी कहा था कि हमें इस तथ्य पर गौर करना होगा कि ओआरओपी की कोई कानूनी परिभाषा नहीं है। यह एक नीतिगत फैसला है। याचिकाकर्ताओं की दलील है कि संसद में जो कुछ कहा गया था और नीति के बीच विसंगति है। सवाल यह है कि क्या यह अनुच्छेद 14 का हनन करता है।

याचिकाकर्ता की दलील

वहीं, याचिकाकर्ता हुजेफा अहमदी ने पिछली सुनवाई में कहा था कि सरकार का फैसला मनमाना है। ये फैसला वर्ग के अंदर वर्ग बनाता है और एक रैंक को अलग-अलग पेंशन देता है।

2011 में जारी हुआ था आदेश

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 7 नवंबर 2011 को एक आदेश जारी कर वन रैंक वन पेंशन योजना लागू करने का फैसला लिया था, लेकिन इसे 2015 से पहले लागू नहीं किया जा सका। इस योजना के दायरे में 30 जून 2014 तक सेवानिवृत्त हुए सैन्यबल कर्मी आते हैं। 

 

You can share this post!

Comments

Leave Comments